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Saira Banu Share Memories On The 59th Anniversary Of Her Marriage With Dilip Sahab – Amar Ujala Hindi News Live


सायरा बानो और दिलीप कुमार साहब का निकाह 11 अक्टूबर 1966 को हुआ। यह शादी बॉलीवुड की सबसे चर्चित शादियों में से एक है। सायरा बानो ने शनिवार को इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए फिर से उन खूबसूरत पलों को याद किया है। निकाह की 59वीं सालगिरह पर एक इमोशनल पोस्ट शेयर की है। 

‘दो सितारों का जमीन पर मिलन…’ गाना बज रहा था

अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में सायरा बानो लिखती हैं, ‘59 साल पहले हमारे निकाह की रात, मेरी जिंदगी की सबसे यादगार शामों में से एक है। ‘दो सितारों का जमीन पर है मिलन आज की रात’ गाना बज रहा था। यह गाना पूरी रात बजता रहा। मेरे दिल में खुशी की लहर दौड़ती रही। मुझे याद है कि मैं सोच रही थी कि अगर कोई मुझसे कहता कि मैं उस शाम सचमुच उड़ सकती हूं, तो मैं यकीन कर लेती। यह सब कुछ बिल्कुल सपने जैसा था।’ 

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डिजाइनर नहीं था सायरा बानो का शादी का जोड़ा


सायरा बानो आगे अपनी पोस्ट में लिखती हैं, ‘वह दिन ज्यादा खर्चीला नहीं था। फिर भी अपनी सादगी में वह पूरा था। मेरी शादी का जोड़ा हमारे लोकल दर्जी ने बड़े प्यार से सिला था। कोई डिजाइनर नहीं थे, कोई प्लानिंग नहीं थी। कोई छपे हुए कार्ड नहीं थे। बस जल्दबाजी में उत्साह और दिल से निकली भावनाएं थीं। निकाह नवंबर में होना तय था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। मैं आज भी कलकत्ता से फोन पर दिलीप साहब की कोमल लेकिन दृढ़ आवाज सुन सकती हूं, जो कह रहे थे, ‘आप एक मौलवी को बुलाइए और निकाह करवा दीजिए!’ बस यूं ही पलक झपकते ही मेरी जिंदगी का सबसे अहम दिन आ गया।’  



खाना पड़ गया था कम 


सायरा बानो निकाह से जुड़े कुछ और किस्से भी साझा करती हैं। वह इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखती हैं, ‘वह दिन अफरा-तफरी से भरा था। दिलीप साहब और मैं पास ही रहते थे। जब उनकी बारात गली से नीचे आई, तो घोड़ा एक छोटी सी ढलान पर उतरा। एक बड़ी छतरी उनके सेहरे से टकरा रही थी, यह नजारा इतना मनमोहक था कि आज भी मेरे होंठों पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ ही देर में खबर फैल गई कि दिलीप कुमार का निकाह हो रहा है। सैकड़ों फैंस मेरे घर पहुंच गए। घर हंसी, शोर और अजनबियों से भरा हुआ था, जो परिवार जैसे लग रहे थे। निकाह की रस्म के लिए ऊपरी मंजिल से नीचे आने में मुझे लगभग दो घंटे लग गए। दुल्हन अपने ही मेहमानों के कारण देर से आई। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि हमारे पास खाने-पीने की चीजें भी कम पड़ गईं। लोग छोटी-छोटी यादगार चीजें जेब में डालने लगे। ओह, कैसा दिन था वह। बिना किसी कहानी के, अपूर्ण और फिर भी एक ऐसी खुशी से भरा हुआ, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वह रात मेरे दिल में एक ऐसी याद के रूप में छपी है जो इतने साल बाद भी अभी भी मंद-मंद चमकती है।





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