सीरियल ‘महाभारत’ में पंकज धीर ने कर्ण का किरदार किया था। कर्ण का जीवन ‘महाभारत’ में हमेशा संघर्ष से भरा रहा। पंकज धीर की शुरुआती जिंदगी भी संघर्ष से भरी रही। परिवार की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए उन्होंने कम उम्र में ही काम करना शुरू किया। आगे चलकर वह टीवी सीरियल और फिल्मों के चर्चित अभिनेता बने। अपनी जिंदगी के शुरुआती संघर्ष और परिवार की आर्थिक तंगी के बारे एक पुराने इंटरव्यू में पंकज धीर ने बताया था। जानिए, वह किस्सा।
पंकज के पिता का फिल्मी दुनिया से था नाता
लेहरेन रेट्रो को दिए इंटरव्यू में पंकज धीर ने बताया था कि उनके पिता सीएल धीर 1941 में फिल्मी दुनिया का हिस्सा बने। कई साल वी शांताराम के अस्सिटेंट के तौर पर उन्होंने काम किया। फिर कई हिट फिल्मों का निर्देशन किया, बतौर निर्माता भी पैसा लगाया। 1965 में अदाकारा गीता बाली के साथ एक फिल्म ‘रानो’ शुरू की, इस फिल्म को गीता बाली और पंकज धीर के पिता ने मिलकर प्रोड्यूस किया था। फिल्म में हीरो धर्मेद्र थे। इसी फिल्म ने ही पंकज के परिवार की किस्मत बदल दी।
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अधूरी फिल्म ने परिवार को बना दिया पैसों का मोहताज
पंकज ने बताया था कि गीता बाली के साथ पिता जो फिल्म कर रहे थे, वह लगभग बन चुकी थी। अचानक गीता बाली को चेचक हो गया। वह बीमार हो गईं। गीता बाली ने पंकज धीर के निर्माता पिता से कहा कि उनके मरने के बाद वह इस फिल्म को छोड़ देंगे। यही हुआ, गीता बाली का निधन हो गया और पंकज के पिता ने फिल्म नहीं बनाई। जबकि बाद में दिलीप कुमार और मीना कुमारी ने पंकज धीर के पिता को समझाया था। दिलीप साहब ने कहा कि फिल्म को मीना कुमारी के साथ पूरा कर लें। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। फिल्म रिलीज नहीं हुई, जिस वजह से पंकज धीर के पिता को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। परिवार बहुत मुश्किल वक्त से गुजरा। यही कारण है कि पंकज ने किशोरावस्था में ही काम करना शुरू कर दिया था। वह काम करके अपने परिवार की मदद करना चाहते थे।


