परेश रावल का कहना है कि फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ में कोई झूठ नहीं है। उनका दावा है कि यह फिल्म विश्व प्रसिद्ध स्मारक यानी ताजमहल के बारे में तथ्य ही पेश करती है। इससे आगे चलकर पर्यटन को ही बढ़ावा मिलेगा।
परेश रावल को फिल्म की रिसर्च अच्छी लगी
पीटीआई से की गई बातचीत में परेश रावल ने कहा, ‘हमारे सिनेमा में बहुत सारा ‘छल-कपट’ और झूठ है। लेकिन हमारी फिल्म में कोई झूठ नहीं है, सिर्फ तथ्य हैं। जब मेरे पास फिल्म की स्क्रिप्ट आई, तो मैंने उसे पढ़ा और मुझे यह पसंद आई। मुझे फिल्म की रिसर्च अच्छी लगी। मैंने कुछ दोस्तों के साथ तथ्यों की पुष्टि की और पाया कि यह सही थे। इसके बाद मैं निर्देशक से मिला। हमने तय किया कि फिल्म में कोई कट्टर राष्ट्रवाद नहीं होगा, यह फिल्म सिर्फ ताज के बारे में होगी।’
विवाद खड़ा करना नहीं चाहते हैं
परेश रावल आगे कहते हैं, ‘लोग कह रहे हैं कि हम हिंदू-मुस्लिम विवाद खड़ा करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। हम हमेशा से इससे दूर रहे हैं। हम एक शोध वाली मजेदार फिल्म बनाना चाहते थे जो हमारे यहां बनती नहीं हैं।’ इस फिल्म को तुषार अमरीश गोयल ने डायरेक्ट किया है।
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क्या है ‘द ताज स्टोरी’ के मेकर्स का दावा
मेकर्स का दावा है यह फिल्म भारतीय इतिहास के एक ऐसे अध्याय को पेश करती है जिसे पहले कभी किसी ने सामने लाने की हिम्मत नहीं की। इस महीने की शुरुआत में, फिल्म का पहला पोस्टर तब विवादों में घिर गया था जब इसमें परेश रावल के किरदार को ताजमहल का गुंबद हटाते और उसमें से भगवान शिव की एक मूर्ति निकलते हुए दिखाया गया था। पोस्टर के पीछे का विचार यह है कि यह ताजमहल नहीं है। कुछ लोग इसे ‘तेजो महालय’ कहते हैं।


