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इसराइली संसद में ट्रंप के सामने हंगामा, दो सांसदों ने कहा- ‘फ़लस्तीन को मान्यता दो’



इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, अयमान ओदेह (दाएं) को संसद से बाहर निकालते हुए13 अक्टूबर 2025इसराइल की संसद में सोमवार को उस वक़्त अफ़रा-तफ़री का माहौल बन गया जब दो सांसदों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विरोध किया.हंगामे के कारण डोनाल्ड ट्रंप को कुछ देर के लिए अपना भाषण रोकना पड़ा. इसके बाद दोनों विपक्षी सांसदों को संसद से निकाल दिया गया.दोनों सांसदों के नाम ओफ़र कासिफ़ और अयमान ओदेह हैं.अयमान ओदेह ने ट्रंप के सामने नारेबाज़ी की और एक कागज भी दिखाया, जिस पर लिखा था- ‘फ़लस्तीन को मान्यता दो’.इसके बाद ओदेह पीछे बैठे कासिफ़ के पास चले गए. बाद में दोनों को इसराइली संसद क्नेसेट से बाहर निकाल दिया गया.दोनों को बाहर निकालने के बाद संसद के स्पीकर आमिर ओहाना ने ट्रंप से माफ़ी मांगी.ट्रंप ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, “यह बहुत ही सफलतापूर्वक और जल्दी किया गया.”इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, ओदेह विपक्षी गुट के सांसद हैं जो फ़लस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता देने की वकालत करते हैंट्रंप क्या बोले?युद्ध का ज़िक्र कर डोनाल्ड ट्रंप ने इसराइली सांसदों को संबोधित करते हुए कहा है कि ‘लंबा और दर्दनाक सपना आख़िरकार खत्म हो गया है.’यह 2008 के बाद किसी अमेरिकी राष्ट्रपति का इसराइली संसद में पहला भाषण था. ट्रंप ने कहा कि यह दिन ‘वह पल है जब सब कुछ बदलना शुरू होगा और बहुत बेहतर के लिए बदलेगा.”क्नेसेट में ‘ट्रंप, ट्रंप, ट्रंप’ के नारों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह क्षेत्र ‘नए मध्य पूर्व का ऐतिहासिक सूर्योदय’ देख रहा है.ट्रंप ने कहा, “अंत में, न केवल इसराइली बल्कि फ़लस्तीनी भी लंबे और दर्दनाक सपने से बाहर आ गए हैं.”उन्होंने कहा कि युद्ध विराम जो उन्होंने कराया वह ‘अब तक की सबसे बड़ी और सबसे चुनौतीपूर्ण सफलता थी.’ ट्रंप ने बताया कि अगला उनका ध्यान रूस और यूक्रेन के युद्ध को ख़त्म करने पर होगा.इमेज स्रोत, Getty Imagesविरोध करने वाले सांसद कौन हैं?सांसदों ने सोशल मीडिया पर अपने एक्शन का बचाव किया. एक्स पर एक पोस्ट में, कासिफ़ ने कहा की कि वह और ओदेह ‘बाधा डालने नहीं, बल्कि न्याय की मांग करने आए थे.”उन्होंने लिखा, “एक सच्ची और न्यायसंगत शांति जो इस इलाक़े के दोनों लोगों को कष्ट से बचाएगी, केवल तभी संभव हो सकती है जब कब्ज़ा पूरी तरह ख़त्म हो और इसराइल के साथ एक फ़लस्तीनी देश को दुनियाभर में मान्यता मिले.”साथ ही उन्होंने उस कागज की तस्वीर भी पोस्ट की है जो उन्होंने संसद में दिखाया था.वहीं, ओदेह ने एक्स पर लिखा, “उन्होंने मुझे संसद से सिर्फ़ इसलिए बाहर कर दिया क्योंकि मैंने एक साधारण सी मांग उठाई थी, एक ऐसी मांग जिस पर पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय सहमत है: एक फ़लस्तीनी देश को मान्यता देना. इस सच्चाई को स्वीकार करो.”दोनों सांसद विपक्षी गुट हदाश पार्टी से संबंधित हैं, जिसने कब्जे़ वाले फ़लस्तीनी क्षेत्रों पर प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की नीतियों की कड़ी आलोचना की है.हदाश इसराइल में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इसराइल (माकी) और अन्य वामपंथी समूहों की ओर से गठित एक अति वामपंथी राजनीतिक गठबंधन है.50 वर्षीय अयमान ओदेह हदाश के प्रमुख हैं और इसराइली संसद के सदस्य हैं. वह एक प्रमुख इसराइली अरब नेता हैं जिन्हें इसराइली संसद में अरब समुदाय की आवाज़ के रूप में देखा जा सकता है.वह फ़लस्तीनियों के लिए एक स्वतंत्र देश की स्थापना का समर्थन करते हैं और उनकी पहचान प्रगतिशील और शांति समर्थक की है.60 साल के ओफ़र कासिफ़ एक इसरायली कम्युनिस्ट और अरब-यहूदी नेता हैं. वे 2019 से इसराइली संसद में हदाश पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.कासिफ़ सामाजिक न्याय, समानता और फलस्तीन के अधिकारों के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं. वे फलस्तीनियों के लिए एक स्वतंत्र देश की स्थापना के पक्ष में हैं. साथ ही वह इसरायल में अरब और यहूदी समुदायों के बीच शांति और सह-अस्तित्व के समर्थन में आवाज उठाते हैं.’डोनाल्ड ट्रंप इसराइल के सबसे अच्छे दोस्त हैं’इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, ओफ़र कासिफ़ और अयमान ओदेहट्रंप से पहले इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने भाषण दिया.इस दौरान पीएम नेतन्याहू ने राष्ट्रपति ट्रंप को धन्यवाद देते हुए कहा, “हम इस पल का काफ़ी समय से इंतज़ार कर रहे थे और मैं पूरे देश की ओर से आपको व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं.”उन्होंने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपतियों में अब तक डोनाल्ड ट्रंप इसराइल के सबसे अच्छे दोस्त हैं.”नेतन्याहू ने ट्रंप के ग़ज़ा प्रस्ताव को शांति की दिशा में एक ‘महत्वपूर्ण’ कदम बताते हुए कहा, “मैं शांति के लिए प्रतिबद्ध हूं, आप भी इस शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम सब मिलकर इस शांति को बनाए रखेंगे.”नेतन्याहू ने आगे कहा, “आज यहूदी कैलेंडर के अनुसार दो साल से चल रहे युद्ध का अंत हो रहा है.”नेतन्याहू का कहना है कि उन्हें लगता है कि ट्रंप के नेतृत्व से इसराइल को अरब देशों के साथ संबंध सुधारने में मदद मिलेगी.इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, इसराइल का कहना है कि उसकी फौज फ़िलहाल ग़ज़ा पट्टी के 53 फ़ीसदी हिस्से पर उसका नियंत्रण बनाकर रखेगी. व्हाइट हाउस की योजना में अगले चरण में सेना और पीछे हटेगी.बंधकों की रिहाईशुक्रवार से लागू हुए संघर्ष विराम समझौते के तहत हमास को उन सभी 48 इसराइली बंधकों को छोड़ना है जिन्हें वह दो साल के युद्ध के बाद भी ग़ज़ा में रखे हुए है. इनमें से सिर्फ 20 लोगों के ज़िंदा होने की पुष्टि हुई है.सोमवार सुबह हमास ने दो समूहों में 20 जीवित बंधकों को अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (आईसीआरसी) को सौंपा.इसराइली अधिकारियों के अनुसार, पहले समूह में शामिल थे – एतान मोर, गाली बर्मन, ज़िव बर्मन, ओमरी मिरान, अलोन ओहेल, गाइ गिल्बोआ-दलाल और मतान एंग्रेस्ट.दूसरे समूह में थे – बार कूपरस्टीन, एव्यातर डेविड, योसेफ हाइम ओहाना, सेगेव काल्फ़ोन, अविनतन ओर, एल्काना बोहबोट, मैक्सिम हरकिन, निमरोड कोहेन, मतान ज़ानगाउकर, डेविड क्यूनियो, एतान हॉर्न, रोम ब्रासलाब्स्की और एरियल क्यूनियो.बंधकों की रिहाई के बदले इसराइल ने अपनी जेलों में उम्रकै़द की सज़ा काट रहे 250 फ़लस्तीनी क़ैदियों और ग़ज़ा से 1,718 बंदियों को छोड़ने पर सहमति जताई है, जिनमें 15 नाबालिग भी शामिल हैं.बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.



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