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बिहार विधानसभा चुनाव: सीट शेयरिंग के मामले में क्या एनडीए ने महागठबंधन के मुक़ाबले बाज़ी मार ली?



इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, बिहार में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को 43 सीटों पर जीत मिली थी (फ़ाइल फ़ोटो)….मेंबिहार विधानसभा चुनाव में तमाम कयासों के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सीट शेयरिंग की घोषणा कर दी है.बीजेपी 101, जेडीयू 101 और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.वहीं अन्य सहयोगी दल जैसे- जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम पार्टी (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी को छह-छह सीटें मिली हैं.पहले चरण के चुनाव (6 नवंबर) के लिए नामांकन की आख़िरी तारीख़ 17 अक्तूबर है. यानी इसमें एक हफ़्ते से भी कम समय बचा है और राष्ट्रीय जनता दल के साथ कांग्रेस वाले महागठबंधन ने सीट शेयरिंग को लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की.सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा के साथ एनडीए ने बिहार के चुनावी रण में पहला दांव चल दिया है. सवाल यह है कि क्या यह क़दम विपक्षी महागठबंधन से आगे निकलने की अहम रणनीति साबित होगा?क्या एनडीए के घटक दल संतुष्ट हैं?केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर पोस्ट किया, “हम एनडीए के साथियों ने सौहार्दपूर्ण वातावरण में सीटों का बंटवारा पूरा किया. एनडीए के सभी दलों के कार्यकर्ता और नेता इसका खुशी के साथ स्वागत करते हैं.”8 अक्तूबर को हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी ने एक्स पर लिखा था, “हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, HAM वही ख़ुशी से खाएंगे, परिजन पे असी ना उठाएंगे.”इस पोस्ट को बिहार में एचएएम पार्टी के 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की हसरत ने जोड़ा गया था.सीट बंटवारे के बाद एचएएम के प्रमुख जीतन राम मांझी से पूछा गया कि क्या वह इस फ़ैसले से ख़ुश हैं?इस सवाल पर उन्होंने कहा, “पार्लियामेंट (चुनाव) में हमको एक सीट मिली थी तो हम क्या नाराज़ थे. वैसे ही जैसे आज छह सीटों की बात की गई है यह आलाकमान का निर्णय है.”एनडीए में सिर्फ़ जीतन राम मांझी की पार्टी ने मांग के रूप 15 सीटों की संख्या बताई थी.ख़ुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ बताने वाले चिराग पासवान की पार्टी की तरफ़ से कहा जा रहा था कि उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है.हालांकि, एलजेपी (आर) ने स्पष्ट रूप से यह आंकड़ा नहीं बताया था कि उन्हें कितनी सीटें चाहिए.अब चिराग पासवान ने एक्स पर पोस्ट लिखा है कि सीटों का बंटवारा सौहार्दपूर्ण वातावरण में किया गया है.’द हिंदू’ की सीनियर डिप्टी एडिटर शोभना नायर का कहना है कि कई चुनौतियों के बावजूद बीजेपी-जेडीयू ने सीटों का बंटवारा कर लिया है.बीबीसी से बातचीत में शोभना नायर कहती हैं, “जब बातचीत चल रही थी तब बीजेपी 107 और जेडीयू 105 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन उन्होंने लचीलापन दिखाते हुए अपने घटक दलों को साधकर दिखाया. एलजेपी (आर) काफ़ी ज़्यादा सीटों की मांग कर रही थी लेकिन बीजेपी ने 29 सीट देकर संतुष्ट करा दिया.”चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (अविभाजित) ने साल 2020 में एनडीए गठबंधन से अलग होकर स्वतंत्र रूप से 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था. हालांकि, एलजेपी सिर्फ़ एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई थी. इसे एनडीए के लिए एक नुक़सान के तौर पर देखा गया था.शोभना नायर बताती हैं, “चिराग पासवान ने भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया जो बीजेपी के ख़िलाफ़ जाए. उन्होंने संयमित तरीक़े से अपनी बात रखी. अब मांझी को मांग (15 सीट) से कम सीटें मिली हैं तो देखना होगा कि वो क्या करते हैं?”सीट बंटवारे के फॉर्मूले के सवाल पर बीजेपी नेता अजय आलोक ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि इसमें कमोबेश वही फॉर्मूला था जो लोकसभा में था.’महागठबंधन अस्वस्थ है’इस बीच, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने इशारों-इशारों में महागठबंधन के सीट बंटवारे के बारे में बताया है.उन्होंने कहा, “महागठबंधन थोड़ा सा अस्वस्थ हुआ है . दिल्ली जा रहा हूं और सभी डॉक्टर दिल्ली में हैं और वहां बेहतर उपचार हो जाएगा. स्वस्थ होकर पटना लौटेंगे.”शोभना नायर बताती हैं, “महागठबंधन में कई दिक्कतें हैं और हर तरफ़ से नाराज़गी का दौर चल रहा है. सीपीआई (एमएल) ख़ुश नहीं है. उन्होंने पिछले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था इसलिए वो ज़्यादा सीट मांग रहे हैं लेकिन महागठबंधन की तरफ़ से उन्हें पिछली बार की तरह सिर्फ़ 19 सीटें देने की बात की जा रही है. माले ने 40 सीट की मांग की थी और वो 30 तक आ गए थे.””कांग्रेस का कहना है कि उन्हें मज़बूत सीटें मिलें. पार्टी का तर्क है कि पिछली बार उन्हें जो 70 सीटें मिली थीं, उसमें 25 सीटें जिताऊं थीं. इस बार कांग्रेस चाहती है कि उसे मज़बूत सीटें दी जाएं.”शोभना नायर का मानना है कि सीट शेयरिंग पर इस तरह के रवैये से आरजेडी की असुरक्षा दिखाई देती है.इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, पिछली बार मुकेश सहनी एनडीए के साथ थे और अब महागठबंधन के साथ हैंबिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम का कहना है कि दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होनी है उसके बाद सीटों को लेकर फ़ैसला होगा.राजेश राम ने कहा है, “एनडीए गठबंधन बीमार है और इंडिया गठबंधन बिलकुल स्वस्थ है.”13 अक्तूबर को ‘लैंड फ़ॉर जॉब’ मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट फ़ैसला सुना सकती है. इस मामले में लालू परिवार के सदस्य अभियुक्त हैं.सीबीआई की विशेष अदालत ने 25 अगस्त 2025 को अपनी सुनवाई पूरी करने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने और सबूत देखने के बाद फै़सला सुनाते हुए सुनवाई के लिए अगली तारीख 13 अक्टूबर निर्धारित की थी.इस मामले का हवाला देते हुए वरिष्ठ पत्रकार सुरूर अहमद कहते हैं, “13 अक्तूबर को लैंड फ़ॉर जॉब मामले में दिल्ली की अदालत फ़ैसला सुना सकती है और तेजस्वी इसमें अभियुक्त हैं. इसके बाद ही सीट शेयरिंग पर फ़ैसला होगा. शायद यह महागठबंधन की रणनीति हो. यह भी हो सकता है कि सीट शेयरिंग पर बात न भी हो लेकिन यह कोई बड़ी बात नहीं है.”क्या एनडीए ने बाज़ी मार ली है?बिहार में विधानसभा चुनाव की शुरुआत 1952 से हुई थी. इसके बाद से साल 2020 तक बिहार में 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इस बार एनडीए और महागठबंधन के अलावा प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी चुनावी मैदान में है.शोभना नायर का कहना है, “एनडीए ने निश्चित रूप से बढ़त हासिल कर ली है. साल 2020 में एनडीए ने एकता नहीं दिखाई थी. वोटों का बिखराव हुआ और महागठबंधन को फ़ायदा हुआ था. सीट शेयरिंग के फ़ॉर्मूले को सार्वजनिक कर एनडीए ने पहले पड़ाव में इस कन्फ़्यूजन को दूर कर दिया कि एनडीए में कोई दरार है.”साल 1996 में गठबंधन के बाद यह पहला मौक़ा है जब बीजेपी और जेडीयू विधानसभा चुनाव में बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.साल 2020 में जेडीयू ने 122 और बीजेपी ने 121 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसमें जेडीयू ने अपने हिस्से में से एचएएम को सात सीटें दीं और बीजेपी ने अपने कोटे से मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 11 सीटें दी थीं.वरिष्ठ पत्रकार सुरूर अहमद का कहना है कि एनडीए ने सीट शेयरिंग का गणित सार्वजनिक किया है लेकिन महागठबंधन की पकड़ ज़्यादा मज़बूत दिखाई दे रही है.सुरूर अहमद बताते हैं, “यह आम बात है. कोई न कोई तो पहले सीट शेयरिंग फ़ॉर्मूला या लिस्ट जारी करेगा. ध्यान देने वाली बात है कि बीजेपी-जेडीयू की तुलना में आरजेडी-कांग्रेस के नेता ज़मीन पर ज़्यादा घूम चुके हैं.””एसआईआर के बहाने तेजस्वी और राहुल गांधी ने बिहार में कई विधानसभाओं को कवर किया है. जबकि एनडीए की तरफ़ से आपको इतने बड़े स्तर पर कोई चुनाव अभियान नहीं दिखेगा. यानी कैंपेन से पहले महागठबंधन ने ग्राउंड वर्क कर लिया है.”बिहार में दो चरणों में विधानसभा चुनाव होगा. इसके लिए 6 और 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और 14 नवंबर को नतीजों का एलान होगा.बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित



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