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एच-1बी वीज़ा नौकरियां: भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी कंपनियों के मुक़ाबले दिया कम वेतन



इमेज स्रोत, Chetan Singhइमेज कैप्शन, एच-1बी से सबसे ज़्यादा फ़ायदा भारतीयों को मिला है….मेंअमेरिका में 2024 में लॉटरी के जरिए मंज़ूर किए गए हर 10 में से 8 एच-1बी वीज़ा एप्लीकेशन लेवल 1 और लेवल 2 कैटेगरी के कर्मचारियों के थे.लेवल 1 शुरुआती स्तर के कर्मचारियों के लिए होता है, जिन्हें एंट्री-लेवल वाला वेतन मिलता है. वहीं, लेवल 2 उन योग्य और कुशल कर्मचारियों के लिए है, जो मध्यम स्तर के जटिल समझे जाने वाले काम कर सकते हैं.ज़्यादातर भारतीय टेक कंपनियां लेवल 2 कर्मचारियों पर निर्भर रहीं और उन्हें वह वेतन दिया जो एच-1बी भर्तियों को मिलने वाले मीडियन सैलरी से कम था. मीडियन सैलरी का मतलब है, उस पद के लिए किसी सामान्य कर्मचारी को मिलने वाला औसत वेतन.बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंट्रंप ने एच-1बी वीज़ा की आवेदन फ़ीस बढ़ाईइमेज स्रोत, Andrew Harnik/Getty Imagesइमेज कैप्शन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर को एच-1बी वीज़ा की आवेदन फ़ीस बढ़ाने वाले एक आदेश पर हस्ताक्षर किया थाएच-1बी से सबसे ज़्यादा फ़ायदा भारतीयों को मिला है. पिछले दस वर्षों में एच-1बी आवेदन में से 70% से अधिक आवेदन भारतीय लोगों के मंज़ूर हुए हैं.एच-1 बी वीज़ा होल्डर्स और उनके जीवनसाथी सालाना अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 86 अरब डॉलर और फ़ेडरल और पेरोल टैक्स के रूप में 24 अरब डॉलर का योगदान देते हैं.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर को एक आदेश पर हस्ताक्षर किया था. इसके तहत एच-1बी वीज़ा की आवेदन फ़ीस बढ़ाकर सालाना एक लाख डॉलर यानी लगभग 88 लाख रुपये कर दी गई.अमेरिकी राष्ट्रपति लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं कि ग़ैर अमेरिकी लोग अमेरिकी लोगों की नौकरियां खा रहे हैं.2024 लॉटरी वर्ष में, लेवल 1 कैटेगरी के लिए 28 प्रतिशत एच-1बी आवेदन मंज़ूर किए गए. जबकि लेवल 2 कर्मचारियों के लिए 48 प्रतिशत आवेदन मंज़ूर हुए.लेवल 3 और लेवल 4 कैटेगरी की क्रमश: 14% और 6% अर्जियां मंज़ूर हुईं. लेवल 3 अनुभवी कर्मचारियों के लिए है, जबकि लेवल 4 पर्याप्त अनुभव और प्रबंधन जिम्मेदारियों वाले कर्मचारियों के लिए है.किस तरह किया गया ये विश्लेषणइमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, एच-1बी एक अस्थायी वीज़ा है जो अमेरिकी नियोक्ताओं को बेहतरीन स्किल्स वाले विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता हैइसके बाद इस डेटा को श्रम विभाग द्वारा जारी तिमाही लेबर कंडीशन एप्लीकेशन रिकॉर्ड्स से जोड़ा गया, जिनसे मंज़ूर आवेदनों के बारे में अतिरिक्त जानकारी मिली.मंज़ूर आवेदनों में से आधे से अधिक सॉफ़्टवेयर डेवलपर्स, कंप्यूटर सिस्टम्स इंजीनियर्स, डेटा साइंटिस्ट और कंप्यूटर प्रोग्रामर समेत अन्य कंप्यूटर से संबंधित नौकरीपेशा लोगों के थे.बड़ी भारतीय टेक कंपनियां लगभग लेवल 2 कर्मचारियों पर निर्भर थीं.विप्रो के लिए 874 आवेदन मंज़ूर हुए. इनमें से 822 (94 प्रतिशत) लेवल 2 कर्मचारियों के लिए आवेदन थे. वहीं टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ के लिए 674 आवेदन मंज़ूर हुए, जिनमें से 639 लेवल 2 कर्मियों के लिए थे.इसी तरह से एलटीआई माइंडट्री और टेक महिंद्रा के भी मंज़ूर हुए क्रमश: 559 और 343 आवेदन लेवल 2 कर्मियों के लिए थे.यहां ये बात ध्यान देने वाली है कि अमेज़ॉन, गूगल और क्वालकॉम में भी इस लेवल के कर्मचारियों का ही बड़ा हिस्सा था.बीबीसी के विश्लेषण के अनुसार, भारतीय आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा दिया जाने वाला वेतन प्रमुख अमेरिकी टेक कंपनियों की तुलना में काफ़ी कम था. ये 2024 में मंज़ूर एच-1बी कर्मियों के सामान्य वेतन स्तर से भी काफ़ी नीचे था.वॉशिंगटन स्थित इकॉनमिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ईपीआई) के अनुसार, आउटसोर्सिंग कंपनियां वे होती हैं जो कर्मचारियों को सीधे अपनी कंपनी की किसी विशेष आवश्यकता को पूरा करने के लिए नियुक्त करने के बजाय, थर्ड पार्टी क्लाइंट के लिए कर्मचारी उपलब्ध कराती हैं. ईपीआई के मुताबिक़, भारत की दिग्गज आईटी कंपनियां जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (टीसीएस), इंफ़ोसिस, विप्रो और टेक महिंद्रा के साथ ही अमेरिकी मुख्यालय वाली कॉग्निज़ेंट, आउटसोर्सिंग बिज़नेस मॉडल पर काम करती हैं.नतीजों में हैरान करने वाला अंतरअधिकतर आवेदन लेवल-2 कर्मचारियों के लिए स्वीकार किए गए थे, ऐसे में इस विश्लेषण को इस स्तर पर ‘कंप्यूटर ऑपरेशंस’ से जुड़ा काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन पर ही केंद्रित रखा गया है.नतीजों में हैरान करने वाला अंतर दिखता है.भारत में बड़े ऑपरेशन्स वाली बड़ी आईटी कंपनियां जिनमें इंफ़ोसिस, विप्रो, टीसीएस, टेक महिंद्रा और कॉग्निज़ेंट शामिल हैं, उनके कर्मचारियों का औसत वेतन सालाना 77 हज़ार डॉलर से 87,400 डॉलर था.अमेरिका के ब्यूरो ऑफ़ लेबर स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक़, साल 2024 में ‘कंप्यूटर ऑपरेशंस’ से जुड़ा काम करने वाले कर्मचारियों का औसत वेतन 105,990 डॉलर था.सभी कंपनियों द्वारा कंप्यूटर से संबंधित नौकरियों में एच-1बी कर्मचारियों को दी गई मीडियन सैलरी 2024 में 98,904 डॉलर थी, जो अब भी प्रमुख भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा दी जाने वाली तनख़्वाह से अधिक है.वहीं, अमेरिकी कंपनियां अमेज़ॉन, गूगल और माइक्रोसॉफ़्ट की तरफ़ से लेवल 2 कर्मचारियों को दी जाने वाली सैलरी कहीं ज़्यादा है. उनकी मीडियन सैलरी क़रीब 145,000 डॉलर से 165,000 अमेरिकी डॉलर थी.नेशनल ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर सॉफ़्टवेयर एंड टेक्नोलॉजी प्रोफ़ेशनल्स के संस्थापक राजीव दभाड़कर ने बताया, “वीज़ा स्पॉन्सर करने वाला इम्प्लॉयर एच-1बी कर्मचारियों को उतना ही न्यूनतम वेतन देता है, जितना उसे देने के लिए बाध्य किया जा सकता है, लेकिन वहीं कंपनी उसी कर्मचारी को अपने क्लाइंट को ज़्यादा रेट पर देती है.”उन्होंने बताया कि विदेशी कर्मचारियों को एक तयशुदा वेतन दिया जाता है, जबकि स्पॉन्सर करने वाली कंपनियां बीच का फ़ायदा अपनी जेब में रख लेती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी कंपनियों के गेस्ट हाउस अक्सर इतने भरे होते हैं कि कुशल कर्मचारियों को अमानवीय हालात तक में रहना पड़ता है.बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित



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