हिटलर बनाम औरंगज़ेब — ये दो नाम इतिहास में क्रूरता, सत्ता के लोभ, धार्मिक असहिष्णुता और मानवता के शोषण के प्रतीक हैं। जहां एक ने आधुनिक युग में यूरोप को युद्ध में झोंक दिया, वहीं दूसरा भारत के सबसे बड़े साम्राज्य का हिस्सा होते हुए भी उसे धार्मिक कट्टरता के कारण पतन की ओर ले गया। इस लेख में हम इन दोनों नेताओं की तुलना करेंगे — उनके शासन, विचारधारा, नीतियों और प्रभाव के आधार पर।
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1. कौन थे हिटलर और औरंगज़ेब?
हिटलर जर्मनी का तानाशाह था जिसने 1933 में सत्ता संभाली और जर्मन नाजी पार्टी का नेतृत्व करते हुए यूरोप को द्वितीय विश्व युद्ध में धकेल दिया। उसकी विचारधारा नस्लीय श्रेष्ठता, यहूदियों से घृणा और अधिनायकवाद पर आधारित थी।
औरंगज़ेब, भारत में मुगल साम्राज्य का छठा शासक था। उसने 1658 में अपने पिता शाहजहाँ को बंदी बनाकर गद्दी हासिल की। औरंगज़ेब का शासन धार्मिक असहिष्णुता, सैन्य अभियानों और हिंदू विरोधी नीतियों के लिए जाना जाता है।
2. हिटलर बनाम औरंगज़ेब :सत्ता में आने का तरीका
हिटलर ने लोकतांत्रिक व्यवस्था का उपयोग करके सत्ता प्राप्त की। उसने जर्मनी की आर्थिक समस्याओं और प्रथम विश्व युद्ध के अपमान का लाभ उठाया और लोगों में राष्ट्रवाद की भावना को भड़काया। एक बार सत्ता में आने के बाद, उसने धीरे-धीरे लोकतंत्र को खत्म कर पूर्ण तानाशाही स्थापित की।
औरंगज़ेब ने गद्दी पाने के लिए अपने भाइयों को युद्ध में हराया और उन्हें मरवा दिया। उसने अपने बूढ़े पिता को भी कैद कर दिया, जो कि उस समय की परंपरा और इस्लामिक शिक्षाओं के विपरीत था। सत्ता की भूख ने उसे निष्ठुर बना दिया।
3. हिटलर बनाम औरंगज़ेब: धार्मिक दृष्टिकोण और कट्टरता
हिटलर एक जातिवादी नेता था। उसने “आर्य जाति” को श्रेष्ठ मानते हुए यहूदियों, जिप्सियों, विकलांगों और समलैंगिकों को नष्ट करने की योजना बनाई। इस घृणा का परिणाम था होलोकॉस्ट, जिसमें लगभग 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई।
औरंगज़ेब ने अपने शासनकाल में हिंदुओं पर जज़िया कर लगाया, हजारों मंदिर तुड़वाए और धार्मिक स्वतंत्रता को कुचला। उसने गुरु तेग बहादुर जैसे सिख गुरु को मौत के घाट उतारा और धार्मिक मतभेद को राज्यनीति में बदल दिया।
4. सैन्य नीतियाँ और युद्ध नीति
हिटलर ने पूरी दुनिया को युद्ध में झोंक दिया। उसने पोलैंड, फ्रांस, रूस और अन्य देशों पर हमला किया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया। उसकी Blitzkrieg (बिजली जैसी तेज़ युद्ध नीति) के कारण लाखों लोगों की जान गई।
औरंगज़ेब ने अपने जीवन के 25 साल दक्षिण भारत में युद्ध में बिताए। उसने मराठों, राजपूतों और अन्य स्वतंत्रतावादी समूहों से लगातार युद्ध किया। उसकी युद्ध नीति ने मुगल साम्राज्य की जड़ें हिला दीं।
5. जनता पर प्रभाव और शासन का तरीका
हिटलर का शासन भय और प्रचार पर आधारित था। उसने मीडिया को नियंत्रित किया, गुप्तचर संस्था Gestapo का इस्तेमाल कर असहमति को कुचल दिया, और लोगों को एक झूठी श्रेष्ठता के सपने में उलझाए रखा।
औरंगज़ेब का शासन धार्मिक असहिष्णुता पर आधारित था। उसने कई हिंदू अधिकारीयों को पदों से हटाया, मंदिरों को ध्वस्त किया, और इस्लामी कानूनों को लागू किया। इसने हिंदू-मुस्लिम संबंधों में दरार डाल दी।
6. मृत्यु और विरासत
हिटलर ने 30 अप्रैल 1945 को बर्लिन में आत्महत्या कर ली, जब वह जान गया कि जर्मनी युद्ध हार चुका है। उसकी मृत्यु के बाद दुनिया को शांति मिली, लेकिन उसके कृत्य आज भी इतिहास के काले पन्नों में दर्ज हैं।
औरंगज़ेब की मृत्यु 1707 में हुई। उसके बाद मुगल साम्राज्य तेजी से पतन की ओर बढ़ा। उसकी कट्टरता ने साम्राज्य को भीतर से खोखला कर दिया। जहां अकबर ने एकता लाई थी, वहीं औरंगज़ेब ने विभाजन बोया।
BBC का वीडियो: हिटलर की विचारधारा
7. निष्कर्ष: कौन था अधिक क्रूर?
हिटलर बनाम औरंगज़ेब की तुलना से स्पष्ट होता है कि दोनों ही शासकों ने मानवता के खिलाफ काम किया। जहां हिटलर का प्रभाव वैश्विक स्तर पर विनाशकारी रहा, वहीं औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप को धार्मिक और सामाजिक स्तर पर नुकसान पहुंचाया।
इन दोनों की विचारधाराएं क्रूरता, असहिष्णुता और अधिनायकवाद का प्रतीक थीं। इतिहास इन्हें कभी सम्मान से नहीं देखता। इनके उदाहरण आने वाली पीढ़ियों को यह सीख देते हैं कि सत्ता की भूख, धर्म और जाति के नाम पर हिंसा मानवता के लिए कितनी घातक हो सकती है।