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IMF का पाकिस्तान पर फैसला: समझिए आसान भाषा में पूरी रिपोर्ट

9 मई 2025 को इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान के लिए एक बेहद अहम समीक्षा पूरी की। यह समीक्षा “एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF)” के अंतर्गत थी और इसके साथ ही पाकिस्तान को लगभग 1 अरब डॉलर की नई फंडिंग की इजाजत भी दे दी गई। साथ ही, IMF ने “रिजीलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी (RSF)” के तहत भी पाकिस्तान को करीब 1.4 अरब डॉलर की मदद देने की मंजूरी दे दी है। चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
1. EFF यानी एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी क्या है?
EFF एक विशेष प्रकार का आर्थिक सहायता प्रोग्राम है जो किसी देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने, सुधार लागू करने और विकास को समर्थन देने के लिए चलाया जाता है। IMF ने पाकिस्तान के इस कार्यक्रम की पहली समीक्षा पूरी की और इसे सफल माना।
2. IMF को क्या दिखा?
IMF ने माना कि पाकिस्तान ने अपने आर्थिक सुधारों को सही ढंग से लागू किया है, जिससे:
- फाइनेंसिंग के हालात सुधरे हैं
- विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Reserves) बढ़े हैं
- महंगाई घटी है
- देश में आर्थिक रिकवरी शुरू हो चुकी है
3. अब क्या होगा आगे?
IMF ने कुछ सुझाव भी दिए:
- बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जाए
- उत्पादकता को बेहतर किया जाए
- सरकारी कंपनियों (SOEs) में सुधार हो
- पब्लिक सर्विस और एनर्जी सेक्टर को मज़बूत किया जाए
- जलवायु आपदा से निपटने के लिए योजनाएं बनाई जाएं
4. RSF यानी रिजीलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी क्या है?
ये फंड जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए होता है। IMF ने पाकिस्तान को इसके तहत $1.4 अरब की राशि देने की मंजूरी दी है ताकि:
- जल संकट को मैनेज किया जा सके
- केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर डिजास्टर मैनेजमेंट कर सकें
- पर्यावरणीय जोखिम की जानकारी और डेटा बेहतर हो
- ग्रीन इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिले
5. पाकिस्तान में सुधार के असर
- जीडीपी ग्रोथ: FY25 में 2.6% रहने का अनुमान है
- महंगाई: अप्रैल में महज 0.3% रही
- विदेशी मुद्रा भंडार: $10.3 अरब तक पहुंचा
- पॉलिसी रेट: जून 2025 से 1100 बेसिस पॉइंट कम की गई
6. IMF का साफ संदेश
IMF ने कहा कि पाकिस्तान को अभी भी:
- सुधारों की रफ्तार बढ़ानी होगी
- टैक्स बेस बढ़ाना होगा
- ऊर्जा और वित्तीय सेक्टर को सशक्त करना होगा
- जलवायु जोखिम को मैनेज करने के लिए कदम तेज करने होंगे
7. आम जनता पर क्या असर होगा?
- टैक्स सिस्टम में बदलाव आएगा
- ऊर्जा क्षेत्र में सुधार से बिजली बिल पर असर संभव है
- ग्रीन पॉलिसी से पर्यावरण के हालात बेहतर हो सकते हैं
8. भारत के नजरिए से
भारत में आम लोगों और विशेषज्ञों की राय इस IMF फैसले को लेकर मिली-जुली है।
- कुछ का मानना है कि IMF का ये कदम पाकिस्तान को अस्थायी राहत देगा, लेकिन जब तक वहां आतंकी गतिविधियों और राजनीतिक अस्थिरता पर लगाम नहीं लगेगी, कोई भी आर्थिक सहायता लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी।
- सोशल मीडिया पर भारत के नागरिकों का कहना है कि पाकिस्तान को हर बार कर्ज़ देकर IMF केवल उनकी फौरी ज़रूरतें पूरी कर रहा है, असली सुधार तो कभी दिखते ही नहीं।
- एक आम नागरिक का व्यंग्यात्मक कमेंट था: “पाकिस्तान को हर साल नया कर्ज़ मिलता है, लेकिन बदले में वो नया बहाना और भारत-विरोधी बयान ही देता है।”
- भारतीय अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर IMF इस मदद को सख्त शर्तों से जोड़ता है और निगरानी बनाए रखता है, तो ही कोई स्थायी असर संभव होगा।
9. भारत बनाम पाकिस्तान: आर्थिक तुलना एक नजर में
लेखक की कलम से:
जब IMF जैसे वैश्विक संस्थान पाकिस्तान को कर्ज़ देते हैं, तो भारत में आम लोग यह सवाल पूछते हैं कि क्या भारत को कभी ऐसी मदद की ज़रूरत पड़ी? जवाब है — नहीं। भारत ने 1991 में एक बार IMF की मदद ली थी, लेकिन उसके बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ी है।
- भारत की GDP 2025 में लगभग $3.7 ट्रिलियन रहने की संभावना है, जबकि पाकिस्तान की करीब $370 बिलियन।
- भारत के पास $600+ अरब के विदेशी मुद्रा भंडार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास $10 अरब के आसपास।
- भारत की IT और फार्मा सेक्टर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हैं, वहीं पाकिस्तान अभी तक कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था में फंसा है।
- भारत में विदेशी निवेश लगातार बढ़ रहा है, जबकि पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के चलते निवेशक सतर्क हैं।
भारत के लोग आज इस बात पर गर्व करते हैं कि हमारी आर्थिक नीति सशक्त और दीर्घकालिक सोच वाली है। वहीं, पाकिस्तान की बार-बार IMF के सामने झोली फैलाने की प्रवृत्ति को लेकर व्यंग्य भी करते हैं और चिंता भी जताते हैं — क्योंकि एक अस्थिर पड़ोसी, पूरे क्षेत्र की शांति के लिए खतरा बन सकता है।
10. अर्थव्यवस्था के कुछ आंकड़े
- FY25 में बेरोजगारी 8% रहने का अनुमान है
- रेवेन्यू: 15.9% GDP का लक्ष्य
- खर्च: 21.6% GDP तक
- बजट घाटा: -5.6% रहने का अनुमान
- विदेशी कर्ज: GDP का 24%
IMF की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान आर्थिक रूप से कुछ हद तक पटरी पर लौट रहा है, लेकिन चुनौतियां अभी भी बाकी हैं। अगर पाकिस्तान सुझाए गए सुधारों को तेज़ी से लागू करता है तो वह आर्थिक स्थिरता की ओर मजबूत कदम बढ़ा सकता है। भारत की जनता और नीति-निर्माताओं की नज़रें भी इन सुधारों पर टिकी हैं, क्योंकि एक स्थिर पाकिस्तान, पूरे क्षेत्र के लिए लाभकारी हो सकता है — बशर्ते वो शांति और ईमानदारी की नीति अपनाए।