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सूरत का हीरा उद्योग पतन: 7 कारण और इससे किसे हो रहा है फायदा? (विश्लेषण)सूरत का हीरा उद्योग पतन

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प्रस्तावना

सूरत का हीरा उद्योग पतन अब केवल एक औद्योगिक समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक संकट में बदल चुका है। भारत की ‘डायमंड सिटी’ कही जाने वाली सूरत दशकों से वैश्विक हीरा व्यापार का केंद्र रही है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लगातार मंदी, वैश्विक प्रतिस्पर्धा, तकनीकी बदलाव और सरकार व बैंकों की उदासीनता के कारण यह चमकता हुआ उद्योग अब धुंधला पड़ता जा रहा है।

यह लेख आपको सूरत के हीरा उद्योग की मौजूदा स्थिति, इसके पतन के मुख्य कारणों, सामाजिक-आर्थिक असर, और इससे लाभ उठाने वाले गुटों के बारे में विस्तार से बताएगा। साथ ही हम उन संभावनाओं और समाधानों पर भी चर्चा करेंगे जिनसे इस उद्योग को फिर से पुनर्जीवित किया जा सकता है।


सूरत के हीरा उद्योग का इतिहास

सूरत का हीरा उद्योग 1960 के दशक में तेजी से उभरा, जब कुछ पाटीदार और जैन व्यापारियों ने कारीगरों को प्रशिक्षण देकर कच्चे हीरों को तराशने और पॉलिश करने का काम शुरू किया। देखते ही देखते सूरत हीरा कटिंग और पॉलिशिंग का वैश्विक केंद्र बन गया। आज भी दुनिया के 90% हीरे यहीं से कट और पॉलिश होकर अमेरिका, यूरोप, खाड़ी देश और एशिया के अन्य हिस्सों में जाते हैं।

इस उद्योग में लगभग 8 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हुए थे – जिनमें कारीगर, डीलर, ट्रांसपोर्टर, निर्यातक और जौहरी शामिल हैं। हीरा उद्योग सूरत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ था, लेकिन अब यह उद्योग अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।


सूरत का हीरा उद्योग पतन

सूरत का हीरा उद्योग पतन: मुख्य कारण

1. वैश्विक आर्थिक मंदी

कोविड-19 महामारी के बाद से पूरी दुनिया आर्थिक मंदी का सामना कर रही है। अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में महंगाई और ब्याज दरों के कारण लोगों की क्रय शक्ति घट गई है। नतीजा ये हुआ कि लग्ज़री उत्पादों की मांग, जिनमें हीरे भी शामिल हैं, में भारी गिरावट आई। 2022 के बाद से निर्यात में 30% से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है।

2. लैब-ग्रो डायमंड का प्रभाव

आजकल लैब-ग्रो डायमंड्स का चलन तेजी से बढ़ रहा है, खासकर अमेरिका और चीन में। ये हीरे प्राकृतिक हीरों की तरह ही चमकते हैं, पर इनकी कीमत बहुत कम होती है। उपभोक्ता अब अधिक किफायती विकल्प चुन रहे हैं, जिससे सूरत में बनने वाले प्राकृतिक हीरों की मांग घट रही है।

3. विदेशी बाजारों से भुगतान में देरी

अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों द्वारा ऑर्डर कम करना और पुराने भुगतान लटकाए रखना, इस उद्योग की वित्तीय स्थिति को और खराब कर रहा है। हीरा व्यापार की यह खासियत रही है कि इसमें भारी पूंजी निवेश और लचीला क्रेडिट सिस्टम चलता है। लेकिन जब पेमेंट अटकते हैं तो पूरी सप्लाई चेन रुक जाती है।

4. बैंक और वित्तीय संस्थाओं की उदासीनता

बैंक और वित्तीय संस्थाएं हीरा उद्योग को हाई-रिस्क सेक्टर मानती हैं। हाल के वर्षों में कई डिफॉल्ट्स और घोटालों के बाद उन्होंने इस क्षेत्र को कर्ज़ देना लगभग बंद कर दिया है। इसके कारण MSME स्तर के व्यापारी और छोटे यूनिट मालिक अपना व्यापार चलाने में असमर्थ हो गए हैं।

5. मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा की कमी

इस उद्योग में बड़ी संख्या में असंगठित श्रमिक काम करते हैं। इनमें से अधिकतर मजदूर न तो EPF, ESI जैसी सरकारी योजनाओं से जुड़े हैं और न ही उन्हें कोई न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित है। जैसे ही मंदी आई, सबसे पहले इन्हें निकाला गया। नतीजतन आज हजारों परिवार आर्थिक संकट झेल रहे हैं।

6. डिजिटल बदलाव में पिछड़ापन

जहां पूरी दुनिया ऑनलाइन कारोबार की ओर बढ़ रही है, वहीं सूरत का पारंपरिक हीरा उद्योग अभी भी पुराने तौर-तरीकों पर टिका हुआ है। अधिकांश व्यापारी ई-कॉमर्स या डिजिटल मार्केटिंग के प्रभाव को नहीं समझ पाए हैं, जिससे वे नए ग्राहकों से नहीं जुड़ पा रहे हैं।

7. नेतृत्व और नीति निर्माण की कमी

स्थानीय व्यापारी संगठनों और सरकार के बीच समन्वय की कमी इस उद्योग को उबारने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। कोई ठोस नीति, सब्सिडी, या राहत पैकेज अब तक घोषित नहीं किया गया है, जिससे उद्योग से जुड़े लोगों का भरोसा टूट रहा है।


सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

1. बेरोज़गारी में इज़ाफा

सूरत में हजारों मजदूरों की नौकरियाँ जा चुकी हैं। 2023 और 2024 के दौरान करीब 1 लाख से ज्यादा मज़दूर बेरोज़गार हुए, जिनमें से कई ने आत्महत्या जैसा दर्दनाक कदम भी उठाया।

2. पलायन और शहरी असंतुलन

कई मजदूर अपने मूल गांवों की ओर लौट गए हैं, जिससे गांवों पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है। वहीं सूरत की चालों (वर्कशेड्स) में सन्नाटा पसर गया है। यह एक सामाजिक आपात स्थिति है।

3. स्थानीय बाजारों पर असर

हीरा उद्योग की आय पर निर्भर सैकड़ों स्थानीय व्यवसाय—जैसे भोजनालय, वस्त्र विक्रेता, परिवहन सेवा आदि—अब संकट में हैं। खर्च में कटौती का असर पूरे शहरी तंत्र पर पड़ा है।


इससे किसे हो रहा है फायदा?

1. अमेरिका और चीन की लैब डायमंड कंपनियां

‘Brilliant Earth’, ‘Diamond Foundry’ जैसी कंपनियों ने लैब-ग्रो डायमंड्स को स्टाइल और पर्यावरण-मित्र विकल्प के रूप में बेचना शुरू कर दिया है। इनकी मांग बढ़ रही है, जिससे वे सूरत के प्राकृतिक हीरा व्यापार को पीछे छोड़ रही हैं।

2. ऑनलाइन ज्वेलरी प्लेटफॉर्म्स

मई 2024 में अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से हीरे और गहनों की बिक्री में 40% तक इज़ाफा हुआ। सूरत के व्यापारी इसमें पीछे रह गए, जिससे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को अधिक लाभ हुआ।

3. विदेशी निवेशक

कई विदेशी कंपनियां अब सूरत की घाटे में चल रही यूनिट्स को सस्ते दामों में खरीद रही हैं। इससे उन्हें भविष्य में मुनाफा कमाने का मौका मिल रहा है।

4. CSR और राजनीतिक फायदे लेने वाले समूह

कुछ राजनीतिक तत्व इस संकट का उपयोग मजदूरों की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए कर रहे हैं, वहीं कुछ एनजीओ और संस्थाएं CSR फंड के नाम पर फर्जीवाड़ा भी कर रही हैं।


समाधान और संभावनाएं

1. सरकारी राहत पैकेज और नीति सहायता

सरकार को हीरा उद्योग के लिए विशेष राहत पैकेज घोषित करना चाहिए। इसमें सस्ती ब्याज दर पर लोन, श्रमिकों के लिए बीमा योजना और यूनिट्स को जीएसटी रियायत जैसी सुविधाएं शामिल होनी चाहिए।

2. लैब-ग्रो डायमंड तकनीक को अपनाना

भारत को लैब-ग्रो डायमंड में भी अपनी पकड़ बनानी चाहिए। इससे लागत घटेगी, पर्यावरण को भी कम नुकसान होगा, और युवा पीढ़ी को रोजगार मिलेगा।

3. डिजिटल बदलाव को अपनाना

स्थानीय व्यापारियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, ई-कॉमर्स पोर्टल, और मार्केटिंग सपोर्ट जरूरी है।

4. सामाजिक सुरक्षा योजनाएं लागू करना

हर मज़दूर को EPFO, ESI, और बीमा जैसी योजनाओं से जोड़ा जाना चाहिए। असंगठित श्रमिकों के लिए ‘हीरा मजदूर कल्याण योजना’ जैसी योजना सरकार को शुरू करनी चाहिए।


निष्कर्ष

सूरत का हीरा उद्योग पतन केवल व्यापार का मुद्दा नहीं, बल्कि लाखों परिवारों के जीवन से जुड़ा सवाल बन गया है। वैश्विक बदलाव, तकनीकी क्रांति और आंतरिक कमज़ोरियों ने मिलकर इस उद्योग को संकट में डाल दिया है। लेकिन यह संकट हमेशा के लिए नहीं है—अगर सरकार, समाज और व्यापारी मिलकर ठोस कदम उठाएं, तो सूरत फिर से चमक सकता है।

आज ज़रूरत है नवाचार, पारदर्शिता और सहयोग की। तभी ‘डायमंड सिटी’ फिर से अपनी खोई हुई चमक पा सकेगी।


अधिक जानकारी के लिए निचे दिए लिंक पर जाये
https://gjepc.org – जेम एंड ज्वेलरी प्रमोशन काउंसिल की रिपोर्ट
https://www.indiatoday.in – सूरत डायमंड इंडस्ट्री पर रिपोर्ट

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