एक नई प्रविधि (एल्गोरिदम) ऐसे अत्यधिक शीतल (अल्ट्राकोल्ड) परमाणुओं का अध्ययन करने के लिए बेहतर छवियां उत्पन्न कर सकती है जो क्वांटम यांत्रिकी से नियंत्रित गुणों को प्रदर्शित करते हैं

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वैज्ञानिकों ने एक नई छविसुधार तकनीक तैयार की है जो अत्यधिक शीतल (अल्ट्राकोल्डअथवा पूर्ण शून्य तापमान पर परमाणुओं के अध्ययन के दौरान बेहतर छवियां प्राप्त करने में सक्षम है।

यह तकनीक छवियों में 50 प्रतिशत अवांछित हस्तक्षेप सीमाओं से छुटकारा दिला सकती है जो ठंडे तापमान पर परमाणुओं के जटिल  क्वांटम यांत्रिकी द्वारा  नियंत्रित गुणों को बेहतर ढंग से समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

परम शून्य (एबसोल्यूट जीरोके निकट  वाले कम तापमान परशास्त्रीय यांत्रिकी पर आधारित परमाणुओं के मूल गुणों में  परिवर्तन  हो  जाता है और फिर वे क्वांटम यांत्रिकी के नियमों द्वारा नियंत्रित होते हैं । इस स्थिति में  वे इतने कम तापमान पर परमाणु गुणों का अध्ययन करने और उन्हें बेहतर ढंग से समझने की संभावना प्रदान करने की क्षमता रखते हैं।

अल्ट्राकोल्ड परमाणुओं के अध्ययन के लिए सामान्यतः  प्रयुक्त  की जाने वाली तकनीक उच्चशक्ति लेजर शीतलन तकनीकों के साथ चुम्बकीय प्रकाशिक जाल  (मैग्नेटोऑप्टिकल ट्रैप्सका प्रयोग  करना है। सामान्यतः  सोडियमपोटैशियमरुबिडियम जैसे तत्वों के ठंडे परमाणुओं का अध्ययन किया जाता है। इसके लिए जांच तकनीकोंअर्थात् प्रतिदीप्ति (फ्लोरेसेंस), अवशोषण (ऐब्जोर्पशनअथवा  चरणविपरीत छायांकन (फेज कन्ट्रास्ट  इमेजिंग)  तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इनमें से भी  प्रतिदीप्ति या अवशोषण तकनीकों के माध्यम से इमेजिंग का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

तथापिइन तकनीकों का उपयोग करके प्राप्त की गई छवियां अक्सर ऐसे अवांछित हस्तक्षेप सीमान्त (इंटरफेरेन्स फ्रिंजेज)  के कारण खराब हो जाती हैंजो वास्तविक छवियों पर अवांछित गहरेचमकदार  पैटर्न के रूप में अंकित होते हैं  और  जिनसे प्राप्त परिणामों की गुणवत्ता कम हो जाती है। अवांछित हस्तक्षेप सीमाओं की उपस्थिति महत्वपूर्ण मापदंडों की सटीक गणना – परमाणु संख्यातापमानछोटे समय के पैमाने में गतिशीलताआदि को पटरी से उतारने की क्षमता रखती है ।

इस हस्तक्षेप समस्या का समाधान करने के लिएविज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थानरमन शोध  इंस्टीट्यूट (रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट– आरआरआईके एक शोध समूह ने एक छविसुधार समाधान (इमेज करेक्शन सलूशनविकसित किया है।

नव विकसित प्रविधि (एल्गोरिदम)  वर्तमान  ईजेनफेस रिकग्निशन के साथसाथ स्मार्ट मास्किंग तकनीक पर आधारित है और जिसका उद्देश्य न्यूनतम हस्तक्षेप फ्रिंज के साथ छवियां प्राप्त करना है। यह ईजेन चेहरा पहचान वस्तुओं की विशेषताओं के आधार पर छवियों के समूह से किसी व्यक्ति या वस्तु की सही छवि खोजने के समान है। हमारे सेल फोन इसे आधार तकनीक के रूप में उपयोग करते हैंहालांकि आधुनिक स्मार्टफोन ने इस सुविधा को बेहतर बनाने के लिए इसे अतिरिक्त मशीनलर्निंग आधारित तकनीक के साथ संशोधित किया हैलेकिन मूलभूत अवधारणा  वही रहती  है।

रमन शोध संस्थान (आरआरआईकी क्यूमिक्स प्रयोगशाला (क्यूयूएमआईएक्स लैब)  में पीएचडी छात्र गौरव पाल ने कहा कि ” शीतल  परमाणुओं के साथ काम करते समय  ऑप्टिकल घनत्व (ओडीकी गणना करना आवश्यक हैजिससे कोई भी  तापमानआकारघनत्व और अन्य उपयोगी  मानक (पैरामीटरनिर्धारित कर सकता है।

एप्लाइड ऑप्टिक्स जर्नल में हाल ही में प्रकाशित एक  शोधपत्र   में आरआरआई टीम ने दावा किया है कि प्रस्तावित तकनीक शीतल  परमाणुओं के   अवशोषण छायांकन (ऐब्जोर्पशन इमेजिंग)  में हस्तक्षेप फ्रिंज को लगभग 50 प्रतिशत तक कम कर सकती है। इसके अतिरिक्त  जब इस एल्गोरिदम को लागू किया गया था तब   ठंडे रुबिडियम परमाणुओं की  तापमान अनिश्चितताओं में 50 प्रतिशत का उल्लेखनीय सुधार हुआ था।

वैज्ञानिकों का तर्क है कि अवशोषण इमेजिंग तकनीक ठंडे परमाणु समुदाय में लोकप्रिय है और इसमें अनुप्रयोगों की एक वहां  से उपयोगी है जहां परमाणुओं की संख्या कम है। अवशोषण इमेजिंग का उपयोग ठंड और अल्ट्राकोल्ड परमाणुओं की घनत्व प्रोफ़ाइल (डेंसिटी प्रोफाइलका पता लगाने के लिए किया जा सकता है। इस तकनीक मेंहम उड़ान के समय माप के माध्यम से ठंडे परमाणु बादल का तापमान ज्ञात करते हैं। क्वांटम गैस माइक्रोस्कोपी का मूल अवशोषण इमेजिंग है। इस शोधपत्र के सहलेखक और एवं क्यूमिक्स प्रयोगशालाआरआरआई  के प्रमुख सप्तर्षि चौधरी ने कहा कि  इसके अलावा फंसे हुए परमाणुओं के इनसीटू मापन के लिए इस पद्धति का उपयोग किया जाता है ” 

अवशोषण इमेजिंग तकनीक उस समय  सबसे उपयुक्त होती है जब अध्ययन के अंतर्गत  परमाणु संख्या कम  हो । इस प्रकारइसे किसी उड़ान के समय माप के माध्यम से शीतल (कोल्डऔर अतिशीतल (अल्ट्राकोल्डपरमाणुओं के  घनत्व प्रोफ़ाइल और ठंडे परमाणु समूह  के तापमान की गणना करने के लिए प्रयुक्त  किया जा सकता है।

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