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परिचय
“भाई साहब, हमारे गांव में तो आज भी लोग कहते हैं कि अमुक हवेली में रात को मत जाना, वहां कुछ है।”
ऐसी बातें आपने भी कभी न कभी सुनी होंगी। भारत के हर कोने में भूत-प्रेत, आत्मा, टोना-टोटका से जुड़ी लोककथाएं मौजूद हैं। कोई इन्हें अंधविश्वास कहता है, कोई अनुभव। लेकिन एक सवाल सबके मन में होता है — भूत आखिर डरते किससे हैं?
इस लेख में हम जानने की कोशिश करेंगे कि क्या सच में नमक, लोहा, मंत्र, यंत्र और ताबीज जैसी चीजों में ऐसी कोई शक्ति है? और अगर है, तो क्यों है?
भूत लोहे से क्यों डरते हैं?
हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि लोहे की कोई चीज़ पास में हो तो भूत नजदीक नहीं आता। गांव में बच्चों के पालने के नीचे लोहे की कील या छड़ी रखना आम बात है।
लोकमान्यता है कि लोहा नकारात्मक ऊर्जा को काटता है। कुछ लोग मानते हैं कि इसकी चुंबकीय शक्ति अदृश्य तरंगों को रोकती है। यह बात वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं है, पर गांवों में आज भी इसे माना जाता है।
नमक का क्या राज़ है?
नमक, जो रसोई का सबसे आम हिस्सा है, वो भी भूतों का दुश्मन माना गया है।
कहते हैं जहां नमक डाला जाए, वहां कोई “बुरी चीज़” टिक नहीं सकती।
ग्रामीण महिलाएं जब किसी पर “नजर” लगने का शक करती हैं, तो नमक से उस पर से “उतार” करती हैं और फिर नमक को जलती आग में डाल देती हैं।
नमक की एक खासियत यह है कि यह ऊर्जा को सोख लेता है। शायद यही कारण है कि इसे शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।
क्या होता है प्रेत बाधा निवारण यंत्र?
आपने कुछ लोगों को गले में या घर के दरवाज़े पर तांबे या धातु का यंत्र लटकाए देखा होगा। इसे ही कहते हैं भूत प्रेत बाधा निवारण यंत्र।
इस पर खास बीज मंत्र या शक्ति चक्र बने होते हैं जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखते हैं। गांव में इसे बनवाने के लिए लोग मंदिर या किसी जानकार तांत्रिक के पास जाते हैं।
भूत को पकड़ते कैसे हैं?

कुछ लोग दावा करते हैं कि उन्होंने भूत को काबू में किया, या किसी को “छुड़वाया” है।
इस प्रक्रिया में क्या होता है?
- नींबू पर सुइयाँ चुभोई जाती हैं
- काला धागा या राख बांधी जाती है
- और एक खास मंत्र लगातार बोला जाता है
ऐसी विधियाँ तांत्रिक प्रक्रिया मानी जाती हैं। विज्ञान इन्हें स्वीकार नहीं करता, पर जिन्हें इससे राहत मिलती है, वे इसे सच मानते हैं।
ताबीज कैसे बनाया जाता है?
ग्रामीण अंचल में ताबीज बनाना भी एक कला है।
यहां एक सरल तरीका बताया जा रहा है:
- एक छोटा काला कपड़ा लें
- उसमें नमक, 5 लौंग और थोड़ा सा सिंदूर रखें
- साथ में सूखा पीपल का पत्ता जोड़ें
- इसे बांधते समय मंत्र पढ़ें:
“ॐ नमो भगवते हनुमते भयभंजनाय सुखं कुरु फट्।”
इस ताबीज को बाजू या गले में पहना जाता है।
शरीर में से भूत कैसे निकाले जाते हैं?
जब कोई व्यक्ति अचानक चिल्लाने लगे, बेहोश हो जाए या अजीब व्यवहार करे, तो गांव में कहते हैं — “इस पर कुछ आ गया है।”
उस वक़्त ये उपाय किए जाते हैं:
- हनुमान चालीसा जोर से पढ़ना
- गंगाजल से छिड़काव
- नींबू को चार टुकड़ों में काटकर चारों कोनों में रखना
- सिरहाने रुद्राक्ष की माला रखना
कई बार ये उपाय मनोवैज्ञानिक राहत भी देते हैं।
कौन-सी जड़ी से भूत भागते हैं?
कुछ खास देसी जड़ी-बूटियाँ हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि इनकी गंध से भूत भागते हैं:
- भूतनाशिनी बूटी
- लोहबान – जिसे धूप की तरह जलाया जाता है
- गूगुल – घर की सफाई और वातावरण शुद्ध करने के लिए
- काली मिर्च व राई – नजर उतारने के लिए
आज भी गांवों में महिलाएं इन्हें जला कर घर के चारों ओर घुमाती हैं।
कौन-सा मंत्र सबसे प्रभावशाली है?
कुछ लोकप्रिय और शक्तिशाली माने जाने वाले मंत्र:
1. “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”
देवी की शक्ति को जाग्रत करने वाला मंत्र
2. “ॐ नमो भगवते हनुमते भयभंजनाय सुखं कुरु फट्।”
हनुमान जी के बल का स्मरण कराने वाला तंत्र मंत्र
इन मंत्रों का श्रद्धा और विश्वास से जप किया जाए, तभी असर माना जाता है।
भारत की लोककथाओं में भूत
हर राज्य की अपनी भूत-प्रेत की कहानी होती है:
- राजस्थान की चुड़ैल हवेली – जहां आज भी लोग रात को नहीं जाते
- उत्तर प्रदेश का भूत बंगला – गांव वाले दावा करते हैं कि वहां कुछ दिखता है
- बंगाल की पिशाचिनी – जो रात को अकेले सफर करने वालों को भटकाती है
ये कहानियाँ भले ही तर्क से परे हों, लेकिन संस्कृति और डर दोनों का हिस्सा बन चुकी हैं।
तंत्र बनाम विज्ञान
विषय | तांत्रिक मान्यता | वैज्ञानिक व्याख्या |
---|---|---|
भूत | मरी आत्मा | मनोवैज्ञानिक भ्रम |
मंत्र | ऊर्जा को दिशा देना | ध्यान केंद्रित करने का तरीका |
ताबीज | रक्षा कवच | आत्म-संतोष व विश्वास का असर |
प्रेत बाधा | आत्मा द्वारा कब्जा | स्ट्रेस, PTSD, मानसिक बीमारी |
विज्ञान कहता है कि यह सब प्लेसिबो इफेक्ट है, जबकि लोगों का अनुभव कहता है — “भाई, हमें तो इससे आराम मिला!”
निष्कर्ष
भूत-प्रेत, मंत्र-तंत्र और देसी उपाय — ये सब भारत की लोक संस्कृति का हिस्सा हैं। हो सकता है विज्ञान इन्हें न माने, पर जिनके साथ कुछ हुआ है, उनके लिए ये बस कहानियाँ नहीं, अनुभव हैं।
और अनुभव… हमेशा विज्ञान से बड़े होते हैं।
डिस्क्लेमर (स्पष्टिकरण)
यह लेख लोक परंपराओं, ग्रामीण अनुभवों और सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य अंधविश्वास फैलाना नहीं, बल्कि सामाजिक पक्षों को समझाना है। कोई मानसिक, शारीरिक या भावनात्मक समस्या हो तो कृपया विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें। लेखक किसी दावे या परिणाम की गारंटी नहीं देता।