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12 मई 2025 को भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने 32 हवाई अड्डों को, जो अस्थायी रूप से बंद किए गए थे, फिर से नागरिक उड़ान संचालन के लिए खोल दिया है। यह कदम 15 मई 2025 को सुबह 5:29 बजे से प्रभावी हुआ है।
बंदी की पृष्ठभूमि: क्यों और कैसे हुआ था यह निर्णय?
9 मई 2025 को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने अचानक एक ‘नोटिस टू एयरमैन’ (NOTAM) जारी किया, जिसमें कहा गया कि 32 हवाई अड्डों पर 14 मई तक के लिए सभी नागरिक उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। इस प्रतिबंध के पीछे मुख्य कारण थे:
- परिचालनिक सुरक्षा: इन क्षेत्रों में विशेष सैन्य अभ्यास, सामरिक गतिविधियां या सुरक्षा चिंताओं के चलते अस्थायी नियंत्रण आवश्यक हो गया था।
- एयर ट्रैफिक का नियंत्रण: उत्तर और पश्चिम भारत के व्यस्त हवाई मार्गों को कम यातायात के माध्यम से मैनेज करना था।
यह निर्णय एक एहतियाती उपाय के रूप में लिया गया, ताकि किसी भी आपात स्थिति में नागरिक जीवन और राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा न हो।
प्रभावित हवाई अड्डों की विस्तृत सूची
इस अस्थायी बंदी का असर उत्तर और पश्चिम भारत के कई प्रमुख और क्षेत्रीय 32 हवाई अड्डों पर पड़ा:
- आदमपुर, अम्बाला, अमृतसर, अवंतीपुर, बठिंडा, भुज, बीकानेर, चंडीगढ़, हलवारा, हिंडन
- जैसलमेर, जम्मू, जामनगर, जोधपुर, कांडला, कांगड़ा (गग्गल), केशोद, किशनगढ़
- कुल्लू मनाली (भुंतर), लेह, लुधियाना, मुंद्रा, नलिया, पठानकोट, पटियाला
- पोरबंदर, राजकोट (हीरासर), सरसावा, शिमला, श्रीनगर, थोइस, उत्तरलाई
इनमें से कई 32 हवाई अड्डों डुअल-यूज़ एयरबेस थे जो कि सैन्य और नागरिक दोनों कार्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
एटीएस रूट्स पर असर
सिर्फ हवाई अड्डे ही नहीं, बल्कि दिल्ली और मुंबई फ्लाइट इंफॉर्मेशन रीजन (FIR) के अंतर्गत आने वाले 25 एयर ट्रैफिक सर्विस (ATS) मार्ग भी अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए थे। इसका प्रभाव:
- विमानों को वैकल्पिक मार्ग अपनाने पड़े
- उड़ानों में देरी, डायवर्जन और यात्रियों को असुविधा हुई
बंदी के दौरान यात्रियों और एयरलाइनों की स्थिति
बंदी की घोषणा अचानक हुई, जिससे हजारों यात्री प्रभावित हुए। विशेष रूप से जम्मू, श्रीनगर, चंडीगढ़ और अमृतसर जैसे बड़े शहरों के यात्रियों को उड़ानों के रद्द या स्थगित होने का सामना करना पड़ा। एयरलाइंस को भी भारी लॉजिस्टिकल दिक्कतों का सामना करना पड़ा:
- बुकिंग्स को रीशेड्यूल करना पड़ा
- वैकल्पिक रूट्स पर फ्लाइट भेजनी पड़ी
- एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के साथ समन्वय चुनौतीपूर्ण रहा
फिर से खोलने का निर्णय: राहत की खबर

12 मई को सरकार ने स्थिति की समीक्षा की और सुरक्षा एजेंसियों से सलाह लेने के बाद 32 हवाई अड्डों को फिर से खोलने का निर्णय लिया। यह निर्णय 15 मई को सुबह 5:29 बजे से लागू हुआ। इसका अर्थ है कि अब इन सभी स्थानों पर सामान्य नागरिक उड़ानें शुरू हो चुकी हैं।
यात्रियों के लिए सलाह
सरकार और AAI ने यात्रियों को कुछ महत्वपूर्ण सलाह दी है:
- यात्रा से पहले संबंधित एयरलाइन्स से उड़ान की स्थिति की पुष्टि करें
- एयरलाइन्स की वेबसाइट्स और मोबाइल ऐप पर अपडेट चेक करें
- हवाई अड्डों पर समय से पहले पहुंचे और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करें
प्रशासन और एयर ट्रैफिक कंट्रोल की भूमिका
बंदी और पुनः प्रारंभ दोनों ही चरणों में एयर ट्रैफिक कंट्रोल और प्रशासनिक इकाइयों की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। उन्होंने:
- सभी विमानों की रीयल टाइम मॉनिटरिंग की
- नए मार्गों की त्वरित मंजूरी दी
- एयरलाइंस के साथ त्वरित समन्वय सुनिश्चित किया
क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और पर्यटन पर प्रभाव
इस अस्थायी बंदी का असर सिर्फ उड्डयन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका प्रभाव संबंधित राज्यों की अर्थव्यवस्था और पर्यटन पर भी पड़ा। जम्मू, श्रीनगर, लेह, जैसलमेर, शिमला और कांगड़ा जैसे पर्यटन स्थलों पर यात्रा की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। होटल बुकिंग्स में कैंसिलेशन की दर बढ़ गई और लोकल ट्रांसपोर्ट से लेकर छोटे व्यापारियों तक को इसका आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।
विशेष रूप से गर्मी की छुट्टियों में जब पर्यटक इन क्षेत्रों की ओर रुख करते हैं, तब इन 32 हवाई अड्डों की उपलब्धता यात्रियों के लिए जीवनरेखा जैसी होती है। इन बंदियों के चलते हजारों लोगों को वैकल्पिक साधनों पर निर्भर रहना पड़ा, जिससे यात्रा महंगी और समय-साध्य हो गई।
यात्रियों की प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर कई यात्रियों ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि “सुरक्षा सर्वोपरि है”। वहीं कुछ ने बिना पूर्व सूचना के बंदी पर नाराज़गी भी जताई। एक यात्री ने लिखा, “हमने फ्लाइट और होटल दोनों बुक कर लिए थे, लेकिन फ्लाइट कैंसिल होने से हमारी फैमिली ट्रिप खराब हो गई।”
कुछ यात्रियों ने फ्लेक्सिबल बुकिंग और इंश्योरेंस जैसे विकल्पों को अपनाने की सलाह दी। एयरलाइंस की ओर से भी कुछ यात्रियों को पूर्ण या आंशिक रिफंड दिया गया, जिससे स्थिति कुछ हद तक संभली।
यह घटना भारतीय उड्डयन व्यवस्था की तत्परता, लचीलापन और प्रशासनिक कुशलता का परिचायक है। 32 हवाई अड्डों की बंदी और फिर से शुरुआत कोई आसान प्रक्रिया नहीं थी, लेकिन इसे जिस तेजी और सजगता से संभाला गया, वह प्रशंसनीय है।
इस पूरी प्रक्रिया से न केवल यात्रियों में विश्वास बहाल हुआ, बल्कि यह भी साबित हुआ कि भारत आज हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है — चाहे वह सुरक्षा हो, तकनीकी बाधाएं हों या नागरिक सुविधा।
आशा है कि भविष्य में ऐसी अस्थायी बंदियों से बचने के लिए पूर्व सूचना और बेहतर प्रबंधन की व्यवस्था बनाई जाएगी, ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।