केंद्र ने भारतीय विज्ञापन मानक परिषद के सहयोग से “ब्रांड एक्सटेंशन बनाम सरोगेट विज्ञापन – लाइन कहां है?” पर हितधारक परामर्श बैठक का आयोजन किया

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उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव ने कहा कि प्रतिबंधित श्रेणियों में उत्पादों को बढ़ावा देने वाले सरोगेट विज्ञापन उपभोक्ताओं के अधिकारों को कमजोर बनाते हैं

बैठक का उद्देश्य सामूहिक रूप से सरोगेट विज्ञापन, ब्रांड प्रसार और ट्रेडमार्क प्रतिबंधों से संबंधित जटिल मुद्दों को संबोधित करना है, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा जैस व्यापक लक्ष्य शामिल हैं

उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) ने आज मुंबई में भारतीय विज्ञापन मानक परिषद के सहयोग से “ब्रांड एक्सटेंशन बनाम सरोगेट विज्ञापन – लाइन कहां है?” पर हितधारक परामर्श बैठक का आयोजन किया।

बैठक का उद्देश्य सामूहिक रूप से सरोगेट विज्ञापन, ब्रांड प्रसार और ट्रेडमार्क प्रतिबंधों से संबंधित जटिल मुद्दों को संबोधित करना है, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा जैस व्यापक लक्ष्य की प्राप्ति भी शामिल हैं। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) और ट्रेडमार्क प्राधिकरण सहित सरकारी निकायों के प्रमुख हितधारकों ने इस प्रकार के सरोगेट विज्ञापनों को विनियमित करने के उपायों पर अपने विचारों को साझा किया।

श्री रोहित कुमार सिंह, सचिवडी ओसीए ने कहा कि प्रतिबंधित श्रेणियों में उत्पादों को बढ़ावा देने वाले सरोगेट विज्ञापनों से उपभोक्ताओं को अधिकारों का हनन होता है और इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। उद्योग जगत में सरोगेट विज्ञापनों के प्रसार को प्रतिबंधित करने की बहुत ज्यादा आवश्यक है। अगर संबंधित प्रतिबंधित उद्योग इस दिशा-निर्देश का पालन करने में विफल रहते हैं और मौजूदा कानूनों का पालन नहीं करते हैं तो उनपर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

उन्होने कहा कि हम सभी हितधारकों के साथ मिलकर इस उभरते मुद्दे से निपटने के लिए एक साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उपभोक्ता कार्य विभाग ने पूर्ण स्पष्टता के साथ अपने रुख की पुष्टि की है कि सरोगेट विज्ञापन में किसी की लगातार भागीदारी को माफ नहीं किया जाएगा। यह रेखांकित किया गया कि गैर-अनुपालन के किसी भी उदाहरण को संबोधित करने के लिए कड़े उपायों को लागू किया जाएगा और इसके उल्लंघन में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर एवं निर्णायक कार्रवाई की जाएगी।

परामर्श बैठक में इन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा किया गया:

  • ब्रांड एक्सटेंशन एवं विज्ञापित प्रतिबंधित उत्पाद या सेवा के बीच स्पष्ट अंतर होना चाहिए।
  • विज्ञापन में या दृश्य में केवल विज्ञापित किए जा रहे उत्पाद को दर्शाया जाना चाहिए और किसी भी रूप में निषिद्ध उत्पाद को नहीं दिखाया जाना चाहिए।
  • विज्ञापन में निषिद्ध उत्पादों का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उल्लेख नहीं होना चाहिए।
  • विज्ञापन में निषिद्ध उत्पादों का प्रचार करने वाली कोई भी भेद या वाक्यांश नहीं दिखाया जाना चाहिए।
  • विज्ञापन में प्रतिबंधित उत्पादों से संबंधित रंग, लेआउट या प्रस्तुतियों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • विज्ञापन में अन्य उत्पादों का विज्ञापन करते समय निषिद्ध उत्पादों के प्रचार के लिए विशिष्ट पस्थितियों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

परामर्श बैठक में 2022 में भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम करने और भ्रामक विज्ञापनों के समर्थन में कई दिशा-निर्देश भी शामिल किए गए, साथ ही सरोगेट विज्ञापन से निपटने के लिए प्रभावी रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए उद्योग हितधारकों, नियामक निकायों और विशेषज्ञों के लिए सरोगेट विज्ञापन हेतु एक सटीक परिभाषा भी प्रस्तुत की गई। इसमें पारदर्शिता को बढ़ावा देने, प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करने और जिम्मेदार विज्ञापन प्रथाओं को बढ़ावा देने जैसे मुख्य विषयों पर चर्चाएं की गईं।

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