वैश्विक मत्स्य पालन सम्मेलन भारत 2023 अहमदाबाद में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ: भौतिक और ऑनलाइन मोड में हुई अच्छी भागीदारी ने इस सम्मेलन को शानदार सफलता दिलाई

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मत्स्य पालन क्षेत्र में स्टार्ट-अप और उद्यमशीलता इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी नवाचार और उन्हें अपनाना सफलता की कुंजी हैं

देश के मत्स्य पालन क्षेत्र में स्टार्ट-अप और उद्यमशीलता इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक प्रौद्योगिकी नवाचारों को अपनाने के आह्वान के साथ वैश्विक मत्स्य पालन सम्मेलन भारत 2023 बुधवार को अहमदाबाद में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

मीडिया से बातचीत करते हुए, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने अहमदाबाद में इस कार्यक्रम को शानदार तरीके से आयोजित करने में सहायता प्रदान करने के लिए गुजरात सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने सम्मेलन में भाग लेने के लिए मछुआरा समुदाय और अन्य प्रतिनिधियों को भी धन्यवाद दिया।
इस दो दिवसीय सम्मेलनमें 14,000 से अधिक भौतिक और वर्चुअल प्रतिभागियों की प्रभावशाली उपस्थिति रही। यह सम्मेलन राज्यों के मत्स्य पालन मंत्रियों, राजदूतों और विभिन्न देशों के राजनयिक प्रतिनिधिमंडलों, वैश्विक मत्स्य पालन वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, मछुआरा समुदायों और निवेश बैंकरों सहित विभिन्न क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों और हितधारकों को एक मंच पर लाने में सफल रहा है।

सम्मेलन में एक व्यापक एजेंडा पेश किया गया, जिसमें पांच तकनीकी सत्र, पांच उद्योग संपर्क और पांच सरकार-से-सरकार (जी2जी) और सरकार-से-व्यवसाय (जी2बी) तथा व्यवसाय-से-व्यवसाय (बी2बी) सत्रों का आयोजन शामिल रहा।

सम्मेलन के दौरान एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें स्टार्ट-अप, मछुआरों, खाद्य स्टालों, एक्वैरियम का प्रदर्शन, कृत्रिम चट्टानें, समुद्री शैवाल की खेती, कैप्चर मत्स्य पालन, समुद्री पिंजरे की संस्कृति, बायोफ्लॉक, आरएएस, फिश फीड, एलपीजी कनवर्टर किट, मोती निष्कर्षण और न्यूक्लियस इम्प्लांटेशन, सेटकॉम उपग्रह टर्मिनल संचार प्रणाली का मॉडल, पर्यावरण-अनुकूल चल कियोस्क, बहु-प्रजाति हैचरी इत्यादि की भागीदारी रही। कल यह सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। भौतिक और ऑनलाइन मोड में हुई अच्छी भागीदारी ने इस सम्मेलन को शानदार सफलता दिलाई।

उद्योग संबंध सत्र (इंडस्ट्री कनेक्ट सत्र)

उद्योग संबंध सत्र में उद्योग जगत की हस्तियां, नीति निर्माता, उद्यमी और विशेषज्ञ एक मंच पर आए और उन्होंने इस क्षेत्र के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों और अवसरों की पहचान की। उन्होंने इस उद्योग में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी अपनाने, जेंडर संवेदनशीलता और सहयोगात्मक पहलों की जरूरत का आह्वान किया।

इस सत्र में मत्स्य पालन क्षेत्र के उभरते परिदृश्यों का पता लगाया गया औरस्टार्ट-अप की भूमिका, मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में महिलाओं की भागीदारी, पोस्ट हार्वेस्ट मत्स्य पालन प्रबंधन में कोल्ड चेन के महत्व और प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका जैसे विषयों पर चर्चा हुई।

‘मत्स्य पालन और जलीय कृषि में स्टार्ट-अप की भूमिका’ विषय पर आयोजित सत्र में वक्ताओं ने किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए उपयोग में आसान और आर्थिक रूप से किफायती उत्पादोंको विकसित करने के महत्व पर जोर दिया। धीमी गति से प्रौद्योगिकी अपनाना, निवेश की कमी, अपर्याप्त विपणन और तकनीकी सहायता इस उद्योग के मार्ग में मौजूद बाधाएं हैं। पूरक सेवाओं के साथ स्टार्ट-अप में सहयोग को इस क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता के लिएएक प्रमुख रणनीति के रूप में पहचान की गई।

महिलाओं को अब भी कम महत्व और कम वेतन दिया जा रहा है

“मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में महिलाओं की भागीदारी” विषय पर आयोजित उद्योग संबंध सत्र के अनुसार, मत्स्य पालन क्षेत्र में पोस्ट हार्वेस्ट के बाद की गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद, महिलाओं को कम महत्व और कम वेतन दिया जा रहा है।

इस सत्र में सामाजिक ढांचे की अनुपस्थिति, जेंडर संवेदनशीलता की कमी और कम जागरूकता और महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में प्रकाश डाला गया। प्रस्ताव किए गए समाधानों में सहायता प्रदान करने वाली पहल, क्षमता निर्माण कार्यक्रम, जागरूकता पैदा करने वाले अभियान और वित्तीय सहायता शामिल हैं। मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला और क्षेत्र में महिलाओं को बड़ी भूमिका निभाने के बारे में प्रोत्साहित करने के लिए लचीलेपन और स्थिरता के महत्व पर भी जोर दिया गया।

‘मत्स्य पालन के बाद पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन में कोल्ड चेन का महत्व’ विषय पर आयोजित सत्र में पोस्ट हार्वेस्ट हानि को कम करने और मत्स्य पालन आपूर्ति श्रृंखला में मछली उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा वृद्धि में कोल्ड चेन प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया।

एआरएस, सीई, एनएफडीबी, हैदराबाद डॉ. एल. नरसिम्हा मूर्ति ने सत्र की अध्यक्षता की, जिसमें विशेषज्ञों का एक पैनल शामिल था। उन्होंने कोल्ड चेन बुनियादी ढांचे के महत्व, नुकसान का आकलन करने के लिए राज्य-वार अध्ययन और नीतिगत उपायों की आवश्यकता के बारे में चर्चा की।

प्रमुख वक्ताओं ने पोस्ट हार्वेस्ट के बाद होने वाली हानि से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया। इनका आय कम करने और प्रोटीन की बर्बादी करने में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। उन्होंने स्वच्छ प्रशीतन प्रौद्योगिकियों के लिए ऊर्जा-कुशल समाधान, समान नीतियों और सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

पैनल ने मूल्य श्रृंखला में गुणवत्ता के साथ-साथ घरेलू खपत और निर्यात दोनों के लिए मछली की गुणवत्ता को संरक्षित करने के महत्व पर जोर देते हुए सक्रिय शीतलन प्रणालियों में नवाचारों को बढावा देने का आग्रह किया।

इस सत्र में समग्र रूप से मत्स्य पालन क्षेत्र में नुकसान को कम करने, उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने और पूरी दुनिया में उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित और पौष्टिक सी-फूड की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कोल्ड चेन बुनियादी ढांचे और प्रक्रियाओं को उन्नत करने के लिए ठोस प्रयास करने का आह्वान किया गया।

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