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श्रीलंकाई रुपया बनाम भारतीय रुपया: 1948 से 2025 तक की चौंकाने वाली आर्थिक यात्रा

श्रीलंकाई रुपया बनाम भारतीय रुपया

जब दो देश एक जैसे संघर्षों से आज़ाद हुए थे, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि आने वाले वर्षों में उनकी आर्थिक दिशा इतनी अलग हो जाएगी। भारत और श्रीलंका — दोनों ही उपनिवेशवाद के लंबे इतिहास के बाद स्वतंत्र हुए। भारत 15 अगस्त 1947 को और श्रीलंका (तब ‘सीलोन’) 4 फरवरी 1948 को आज़ाद हुआ। इन दोनों देशों की मुद्रा उस दौर में लगभग बराबर हुआ करती थी। लेकिन आज, एक भारतीय रुपया लगभग 4 श्रीलंकाई रुपये के बराबर है। सवाल यह है: ऐसा क्यों हुआ? इसका जवाब हमें इतिहास, आर्थिक निर्णयों और सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता की गहराइयों में मिलता है।


श्रीलंकाई रुपया बनाम भारतीय रुपया शुरुआती दौर: जब दोनों रुपये लगभग बराबर थे

1948 में जब श्रीलंका आज़ाद हुआ, तब उसकी मुद्रा यानी श्रीलंकाई रुपया (LKR) की कीमत लगभग भारतीय रुपये (INR) के बराबर थी। दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं कृषि आधारित थीं और दोनों ही ब्रिटिश मुद्रा प्रणाली से प्रभावित थे। उस समय 1 INR = 1 LKR के आसपास का विनिमय दर था। आम लोगों के लिए, यह समानता सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक भी थी।

भारत बनाम श्रीलंका: मुद्रा इतिहास (1948 से अब तक)

वर्ष1 INR = ? LKRमुख्य आर्थिक/मौद्रिक घटनाएं
1948लगभग 1 INR = 1 LKRदोनों मुद्राएं लगभग समान मूल्य की थीं।
1950s1 INR ≈ 1.10 – 1.20 LKRश्रीलंका अपनी स्वतंत्र मुद्रा नीति अपनाता है।
1960s1 INR ≈ 1.25 – 1.50 LKRआयात-निर्यात असंतुलन से श्रीलंकाई रुपये पर दबाव।
19711 INR ≈ 1.75 LKRश्रीलंका का मुद्रा अवमूल्यन (devaluation)।
19801 INR ≈ 3.00 LKRआर्थिक समस्याओं व महंगाई से श्रीलंका की मुद्रा कमजोर।
19901 INR ≈ 7.00 LKRश्रीलंका में गृह युद्ध का प्रभाव।
20001 INR ≈ 11-12 LKRश्रीलंकाई रुपया तेज़ी से अवमूल्यित।
20101 INR ≈ 2.50 LKRइस समय भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ी।
20151 INR ≈ 2.15 LKRस्थिर लेकिन श्रीलंका की मुद्रा धीरे-धीरे गिर रही।
20201 INR ≈ 2.40 LKRCOVID-19 का आर्थिक प्रभाव।
20221 INR ≈ 4.00 LKRश्रीलंका में आर्थिक संकट, डॉलर की भारी कमी।
20231 INR ≈ 3.70 LKRIMF बेलआउट के बाद थोड़ा स्थिरता।
20241 INR ≈ 3.95 LKRभारतीय रुपया मजबूत और श्रीलंका की मुद्रा अभी भी दबाव में।
2025 (अब)1 INR ≈ 4.00 – 4.10 LKRश्रीलंका अभी भी आर्थिक सुधार की प्रक्रिया में है।

1950-1970: आर्थिक नीतियों में बदलाव और अलग-अलग रास्ते

भारत ने 1950 के दशक में योजनाबद्ध विकास की ओर कदम बढ़ाया। पंचवर्षीय योजनाएं, भारी उद्योगों में निवेश और संस्थागत ढांचे पर फोकस किया गया। वहीं श्रीलंका ने भी अपने स्तर पर सुधारों की कोशिश की, लेकिन 1960 के दशक से वहां आर्थिक असंतुलन, राजनीतिक अस्थिरता और असमान नीतियों का असर दिखने लगा।

श्रीलंका ने 1967 और 1971 में दो बार अपनी मुद्रा का devaluation (मूल्य कम करना) किया। इसका सीधा असर ये हुआ कि INR के मुकाबले LKR कमजोर होने लगा। 1971 तक 1 INR = 1.75 LKR हो चुका था।


1980-2000: भारत में सुधार, श्रीलंका में संघर्ष

1980 के दशक में भारत ने भी आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन फिर भी वह अपने लोकतांत्रिक ढांचे और संस्थागत स्थिरता की बदौलत आगे बढ़ता रहा। वहीं श्रीलंका में 1983 से शुरू हुआ गृहयुद्ध (Civil War) उनकी अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल गया। तमिल विद्रोहियों और सरकार के बीच लंबे समय तक चले संघर्ष ने ना सिर्फ पर्यटन और निवेश को रोका, बल्कि देश की मुद्रा पर भी भारी दबाव डाला।

1990 तक 1 INR = 7 LKR तक पहुंच गया था। इस समय भारत भी आर्थिक संकट से गुजर रहा था, लेकिन 1991 में आर्थिक उदारीकरण (liberalization) के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने नई ऊंचाइयां छूनी शुरू कीं।


2000 के बाद: विकास बनाम संकट

2000 के बाद भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया। IT, उद्योग, व्यापार और वैश्विक निवेश में भारत ने बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। वहीं श्रीलंका अब भी संघर्ष में था। गृहयुद्ध 2009 में खत्म हुआ, लेकिन उस दौरान जो कर्ज़ लिया गया था, वह एक नयी मुसीबत बन गया।

2005-2020 के बीच श्रीलंका ने चीन और अन्य देशों से भारी मात्रा में ऋण लिया। इन ऋणों को अविकसित परियोजनाओं में लगाया गया जिनका रिटर्न नहीं आया। नतीजतन, श्रीलंकाई रुपये की हालत और कमजोर होती चली गई।

2020 आते-आते 1 INR = 2.40 LKR था। फिर आया COVID-19 और उसके बाद 2022 में श्रीलंका का सबसे बड़ा आर्थिक संकट


2022: श्रीलंका का आर्थिक पतन और रुपये का अवमूल्यन

2022 में श्रीलंका की सड़कों पर जनता प्रदर्शन कर रही थी। सरकार के पास डॉलर नहीं थे, पेट्रोल-डीजल खत्म हो चुका था, बिजली घंटों गुल रहती थी, और खाद्य संकट विकराल हो चुका था। यह संकट सिर्फ प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि मुद्रा नियंत्रण की नीतियों की नाकामी का परिणाम भी था।

उस साल 1 INR = 4 LKR से ज्यादा हो गया। IMF और भारत सहित कई देशों ने श्रीलंका को मदद दी, लेकिन उसका रुपया अब तक अपनी पुरानी ताक़त नहीं लौटा सका।


2024-2025: वर्तमान स्थिति

आज (2025 में), श्रीलंकाई रुपया अभी भी कमजोर है। भारतीय रुपया स्थिर है और 1 INR = 4.00 से 4.10 LKR के बीच बना हुआ है। श्रीलंका अब भी IMF के बेलआउट, भारत की सहायता और अन्य विदेशी मदद पर निर्भर है।

श्रीलंकाई रुपया बनाम भारतीय रुपया

श्रीलंकाई रुपया बनाम भारतीय रुपया एक भावनात्मक दृष्टिकोण: दो भाई, दो रास्ते

अगर भारत और श्रीलंका को दो भाई कहा जाए, तो उनमें से एक ने संघर्षों के बावजूद आगे बढ़ना चुना और दूसरे की राह में बार-बार रुकावटें आईं। यह सिर्फ संख्याओं की कहानी नहीं है, यह उन लाखों लोगों की कहानी है जो मुद्रा अवमूल्यन की वजह से अपनी खरीद क्षमता खोते गए, बचत का मूल्य गिरता गया, और जीवनयापन कठिन होता चला गया।

जब एक श्रीलंकाई नागरिक देखता है कि उसके देश की मुद्रा पहले भारत के बराबर थी और अब 4 गुना कम है, तो वह सवाल पूछता है: “हम कहां चूक गए?” यही सवाल सरकारों, नीतियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अहमियत को सामने लाता है।


सीखने की ज़रूरत

भारत और श्रीलंका के रुपये के इस अंतर से हमें कई चीजें सीखने को मिलती हैं:

  • राजनीतिक स्थिरता और पारदर्शिता का महत्व।
  • अर्थव्यवस्था में विवेकपूर्ण कर्ज़ नीति और निवेश की भूमिका।
  • स्थायी विकास बनाम लुभावनी लेकिन असफल योजनाएं।
  • वैश्विक संबंधों और घरेलू नीतियों का संतुलन।

भारत ने भी गलतियां की हैं, लेकिन उससे सीखकर आगे बढ़ा। श्रीलंका अब उन गलतियों से उबरने की कोशिश कर रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले वर्षों में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था फिर से स्थिर हो और उसकी मुद्रा को फिर से सम्मान मिले।

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