इमेज स्रोत, Shahnawaz ahmad/BBCइमेज कैप्शन, बिहार में एसआईआर का पहला चरण पूरा हो गया है….मेंबिहार में मतदाताओं की पहचान के लिए चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान का पहला फेज पूरा हो गया है.चुनाव आयोग के इस अभियान के पहले चरण में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को मतदाताओं से गणना प्रपत्र जमा कराना था.चुनाव आयोग के मुताबिक़ बिहार के कुल 7.89 करोड़ में से 7.24 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने अपने फ़ॉर्म जमा कर दिए हैं.यह अभियान 30 सितंबर तक चलेगा. ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि इस प्रक्रिया में आने वाले दिनों में क्या होगा? हम इस रिपोर्ट में 10 ऐसी बातें जानने की कोशिश करेंगे जो एसआईआर की आगे की प्रक्रिया का हिस्सा हैं.बिहार में चल रहे एसआईआर के मुद्दे पर पटना से दिल्ली तक सियासी घमासान मचा हुआ है.राज्य में प्रमुख विपक्षी दल आरजेडी लगातार एसआईआर का विरोध कर रही है, वहीं दिल्ली में संसद के मानसूत्र सत्र के दौरान विपक्ष एसआईआर को लोकतंत्र के ख़िलाफ़ बता रहा है.1. क़रीब 65 लाख वोटरों के नाम हटेंगेइमेज स्रोत, CEO, Biharइमेज कैप्शन, एसआईआर के पहले चरण में ही यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार में क़रीब 65 लाख वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगेचुनाव आयोग के मुताबिक़ एसआईआर के तहत कुल 7.24 करोड़ ( 91.69 फ़ीसदी) मतदाताओं के गणना फ़ॉर्म जमा हो गए हैं.आयोग ने इस प्रक्रिया में 99.8 फ़ीसदी मतदाताओं तक पहुंचने का दावा किया है. उसका कहना है कि इस प्रक्रिया में 22 लाख मौजूदा मतदाताओं को मृत पाया गया है, जो कि कुल मतदाताओं का 2.83 फ़ीसदी हैं.वहीं एसआईआर के पहले चरण में 36 लाख (4.59%) मतदाताओं के बारे में बताया गया है कि वो स्थायी तौर पर राज्य से बाहर चले गए हैं या बीएलओ को ऐसे मतदाता नहीं मिले हैं.चुनाव आयोग के मुताबिक़ ऐसे मतदाताओं ने 25 जुलाई तक अपने फ़ॉर्म जमा नहीं कराए हैं और वो या तो दूसरे प्रदेश के वोटर बन गए हैं या फिर वोटर के तौर पर अपना रजिस्ट्रेशन कराने को इच्छुक नहीं हैं.इस प्रक्रिया में ऐसे सात लाख मतदाताओं की पहचान होने का दावा किया गया है जो एक से ज़्यादा जगहों पर वोटर के तौर पर रजिस्टर्ड हैं.इस तरह से कुल क़रीब 65 लाख मतदाताओं के नाम राज्य की मतदाता सूची से हटाए जाएंगे.2. एक अगस्त को मतदाता सूची का प्रकाशनइमेज स्रोत, Shahnawaz ahmad/BBCइमेज कैप्शन, बिहार में चल रही एसआईआर की प्रक्रिया का विपक्षी दलों के अलावा कई अन्य लोगों ने भी विरोध किया है (सांकेतिक तस्वीर)आयोग अब जमा हो चुके गणना फ़ॉर्म के आधार पर एक अगस्त को मतदाता सूची का पहला ड्राफ़्ट प्रकाशित करेगा. यह ड्राफ़्ट एक अगस्त को सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाएगा. राजनीतिक दलों के बीएलए इस ड्राफ़्ट के आधार पर एक अगस्त से एक सितंबर के बीच नाम हटवाने या जुड़वाने के लिए अपने स्तर पर सत्यापन करके मतदाताओं के नाम की सिफ़ारिश कर सकते हैं.3. आप योग्य मतदाता हैं या नहीं, ईआरओ करेगा तयचुनाव आयोग ने दस्तावेज़ के तौर पर एसआईआर के लिए 11 दस्तावेज़ मांगे थे जिस पर बहुत सवाल उठे थे. बाद में बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, बिहार ने कहा कि जिनके पास दस्तावेज़ नहीं हैं वो सिर्फ़ गणना फ़ॉर्म भर कर जमा कर दें. बाद में ईआरओ मौजूद दस्तावेज़ या अन्य साक्ष्यों के आधार पर ऐसे फ़ॉर्म पर फ़ैसला लेगा.दरअसल, बिहार में ज्यादातर जगहों पर लोगों ने दस्तावेज़ के तौर पर आधार कार्ड ही जमा किए हैं. चुनाव आयोग ने आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, मनरेगा कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस को एसआईआर दस्तावेज़ के तौर पर मान्यता नहीं दी है.ऐसे में मतदाता सूची का पहला ड्राफ़्ट प्रकाशित होने के बाद जिन लोगों ने दस्तावेज़ जमा नहीं किए हैं, उनसे दस्तावेज़ मांगे जाएंगे. जिनके पास दस्तावेज़ नहीं होंगे, उनके संबंध में निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) फ़ैसला लेगा. ईआरओ संबंधित व्यक्ति का फिजिकल वैरिफ़िकेशन यानी वो कहां रहता है जैसी जानकारियों और उपलब्ध दस्तावेज़ों के आधार पर ये फैसला करेगा.राज्य में 243 ईआरओ और 2976 सहायक ईआरओ हैं.संभावना यही है कि ऐसे फ़ॉर्म को वैरिफ़ाई करने के बाद अगर ईआरओ संतुष्ट न हो तो इस तरह के वोटरों के नाम भी लिस्ट से हटाए जा सकते हैं.4. सरकार के पास 45 लाख एससी/ एसटी परिवारों का डेटाइमेज स्रोत, Shahnawaz ahmad/BBCइमेज कैप्शन, बिहार में एक बड़ी आबादी ऐसी है जिसने दस्तावेज़ के नाम पर आधार कार्ड जमा कराए हैंचुनाव आयोग के एसआईआर के लिए मतदाताओं की एक बड़ी आबादी के पास दस्तावेज़ नहीं हैं. इस संबंध में बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने बीबीसी को बताया, “राज्य के अनुसूचित जाति/जनजाति विभाग के पास 45 लाख एससी/एसटी और ग़रीब परिवारों का डेटा है.””उनकी ज़मीन, इंदिरा आवास आदि के रिकॉर्ड ईआरओ के पास हैं, जो एसडीएम या एडीएम रैंक के अधिकारी होते हैं. ऐसे में दस्तावेज़ नहीं होना बहुत बड़ी मुश्किल नहीं है.”बिहार के जातिगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक़ राज्य में 54 लाख 72 हज़ार से ज्यादा अनुसूचित जाति के परिवार हैं जिसमें 23 लाख 49 हज़ार से ज्यादा परिवार ग़रीब हैं. वहीं अनुसूचित जनजाति के 4 लाख 70 हज़ार परिवार हैं, जिसमें 2 लाख परिवार ग़रीब हैं.5. पॉलिटिकल पार्टियों के बूथ लेवल एजेंट 16 फ़ीसदी बढ़ेइमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, पिछले हफ़्ते एसआईआर के मुद्दे पर बिहार विधानसभा परिसर में विरोध करते विपक्षी विधायकराज्य में 23 जून तक कुल बीएलए 1,38,680 थे जबकि 25 जुलाई को ये बढ़कर 1,60,813 हो गए, यानी बूथ लेवल एजेंट की संख्या में 16 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई.सबसे ज्यादा बढ़ोतरी सीपीआई (एम) के बीएलए में हुई जो 1083 फ़ीसदी की बढ़ोतरी थी, वहीं दूसरे नंबर पर रही सीपीआई (एमएल) है, जिसके बीएलए 542 फ़ीसदी बढ़े.बीजेपी के 3 फ़ीसदी, आरजेडी के 1 फ़ीसदी, कांग्रेस के 105 फ़ीसदी और जेडीयू के बीएलए 31 फ़ीसदी बढ़े. इन बूथ लेवल एजेंट को बूथ लेवल ऑफिसर के साथ बूथ लेवल पर काम करना था ताकि कोई भी योग्य मतदाता छूट न सके.बीएलए को रोज़ाना 50 फॉर्म भरने की अनुमति थी. बता दें कि एक बूथ अधिकतम 1200 मतदाताओं का होगा. विनोद सिंह गुंजियाल बताते हैं, “ये बढ़ोतरी भी तब हो पाई जब हम लोगों ने अपने स्तर पर 10 से ज्यादा रिमाइंडर पॉलिटिकल पार्टियों को भेजे.”6. क्या विदेशी नागरिक भी मिले?इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, नेपाल की लड़कियों की शादी बिहार के कई सीमावर्ती इलाक़ों में होती है और वो बिहार में वोट भी देती रही हैं (सांकेतिक तस्वीर)फ़िलहाल 28 जुलाई 2025 तक चुनाव आयोग की तरफ़ से किसी विदेशी नागरिक या उससे संबंधित किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी गई है.हालाँकि बिहार का पड़ोसी देश नेपाल से ‘रोटी-बेटी’ का रिश्ता रहा है. नेपाली महिलाओं की शादी राज्य के सुपौल, अररिया, किशनगंज, मधुबनी, चंपारण, सीतामढ़ी जैसे सीमावर्ती ज़िलों में होती रही है.ये महिलाएं भारतीय चुनावों में वोट करती रही हैं. उनके संबंध में आयोग क्या फ़ैसला लेगा, इसके संकेत 1 अगस्त को पहले ड्राफ्ट में मिल सकते हैं.चुनाव आयोग ने 24 जून को एसआईआर का नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके मुताबिक़ विदेशी नागरिकों की पहचान होने पर ईआरओ इसकी जानकारी सक्षम अधिकारी को देगा.7. 10 करोड़ से ज्यादा एसएमएस रसीद भेजी बीबीसी ने एसआईआर के पहले चरण (24 जून से 25 जुलाई) की पूरी प्रक्रिया के दौरान राज्य के 6 ज़िलों की यात्रा की थी. यहां मतदाताओं को किसी तरह की रसीद नहीं मिली थी, जिसका जिक्र चुनाव आयोग अपने नोटिफ़िकेशन में कर रहा था. हालांकि आयोग ने कहा है कि उसने मतदाताओं को एसएमएस से रसीद भेजी है. चुनाव आयोग का दावा है कि जिन मतदाताओं के गणना फ़ार्म जमा हुए थे उनको 10.02 करोड़ एसएमएस पावती (रसीद) के तौर पर भेजे गए. एक ही मतदाता को कई बार एसएमएस भेजे गए. आयोग ने ये भी बताया कि 29 लाख फ़ार्म ऑनलाइन भरे गए.8. जो अभी 18 साल के हुए, क्या वो कर सकेंगे वोट?इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं (सांकेतिक तस्वीर)जिन मतदाताओं के नाम 24 जून 2025 तक मतदाता सूची में थे, उन्हें बीएलओ या वॉलेंटियर्स (आंगनबाड़ी सेविका, नगर निगम आदि) ने संपर्क किया.लेकिन ऐसे मतदाताओं का क्या जो 1 जुलाई से 1 अक्टूबर तक 18 साल के हो जाएंगे.आयोग के मुताबिक़ वो अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वा सकते हैं, जिसके लिए उन्हें फ़ार्म 6 में अपना आवेदन दाखिल करना होगा. फ़ार्म 6, वोटर लिस्ट में नए वोटर्स को जोड़ने वाला फ़ार्म होता है. राज्य में नए वोटर मतदाता सूची में जुड़ सकें, इसके लिए आयोग 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक पूरे बिहार में विशेष अभियान चलाएगा.9. बाहर रहने वाले वोटर्स का नाम छूटा तो क्या होगा?चुनाव आयोग के सर्वे के मुताबिक राज्य के 21 फ़ीसदी मतदाता राज्य से बाहर रहते हैं. फिलहाल जो गणना फ़ॉर्म भरे गए हैं, उसमें परिवार वालों ने (जैसे पति के लिए पत्नी, बेटे के लिए माता-पिता आदि) गणना फ़ॉर्म में हस्ताक्षर किए हैं.लेकिन यदि इनका नाम छूट जाता है तो क्या होगा?इस सवाल पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय के मुताबिक, ” ऐसे मामले में ईआरओ उनसे जरूरी दस्तावेज़ मांगेंगे. यदि ईआरओ संतुष्ट हो जाते हैं तो ठीक है, अन्यथा मतदाता को शारीरिक तौर पर अपने विधानसभा क्षेत्र में आना होगा. उसी के आधार पर ईआरओ वैरीफ़िकेशन करेंगे.”10. क्या बिना नोटिस के मतदाता का नाम हटाया जा सकता है?इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, पिछले हफ़्ते पटना में एसआईआर की प्रक्रिया का विरोध करते एनएसयूआई के सदस्य मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल बीबीसी से कहते हैं, ” किसी भी मतदाता को सुनवाई का पूरा मौक़ा मिलेगा. बिना किसी स्पष्ट आदेश के मतदाता को सूची से बाहर नहीं किया जा सकता. हमारा लक्ष्य है कि कोई नागरिक छूटना नहीं चाहिए और किसी गैर नागरिक को वोटिंग का अधिकार नहीं मिलना चाहिए.”ईआरओ के फैसले से असंतुष्ट कोई भी मतदाता लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24 के तहत जिला मजिस्ट्रेट और उसके बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है.1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच होने वाली दावा और आपत्ति के बाद 25 सितंबर तक सभी दावा और आपत्तियों पर ईआरओ फ़ैसले लेंगे.इसके बाद 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन होगा.ज़ाहिर तौर पर दस्तावेज़ का मसला और विपक्षी दलों के लगातार विरोध के बीच चुनाव आयोग के लिए एसआईआर को पूरा करना चुनौतीपूर्ण काम है. सिर्फ़ आयोग ही नहीं बल्कि मतदाताओं ख़ासतौर पर हाशिए की आबादी के लिए भी ख़ुद को ‘योग्य मतदाता’ साबित करना आसान काम नहीं होगा.बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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