Homeअंतरराष्ट्रीयपाकिस्तान भारत से टकराव के बाद बनाएगा आर्मी रॉकेट फ़ोर्स कमांड

पाकिस्तान भारत से टकराव के बाद बनाएगा आर्मी रॉकेट फ़ोर्स कमांड



इमेज स्रोत, AFP via Getty Imagesइमेज कैप्शन, शाहीन बैलिस्टिक मिसाइल इस्लामाबाद में एक सैन्य परेड के दौरान (सांकेतिक तस्वीर)….मेंपाकिस्तान ने 13 अगस्त को आर्मी रॉकेट फ़ोर्स कमांड (एआरएफ़सी) बनाने की घोषणा की. यह फ़ैसला मई 2025 में भारत के साथ हुए सैन्य संघर्ष की पृष्ठभूमि में लिया गया है.इस कमांड फ़ोर्स को लंबी दूरी की पारंपरिक हमलावर क्षमता विकसित करने की ज़िम्मेदारी दी गई है. पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि यह नई फ़ोर्स भारत के लिए डेटेरेंट के रूप में काम करेगी.मई के टकराव के बाद से पाकिस्तान अपनी सैन्य क्षमताओं को मज़बूत करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है.बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंपाकिस्तान अपनी वायुसेना और मिसाइल रक्षा प्रणाली को भी अपग्रेड कर रहा है, जिसमें उसे चीन का सहयोग मिल रहा है. इससे भारत में पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ते सैन्य संबंधों को लेकर चिंता गहरा गई है.नई रॉकेट कमांड क्या है?इमेज स्रोत, AFP via Getty Imagesइमेज कैप्शन, इस्लामाबाद में एक सैन्य परेड के दौरान फ़तह मिसाइल (सांकेतिक तस्वीर)आर्मी रॉकेट फ़ोर्स कमांड (एआरएफ़सी) का काम बैलिस्टिक, क्रूज़ और संभवतः हाइपरसोनिक जैसी पारंपरिक मिसाइलों का संचालन करना होगा. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, यह फ़ोर्स मई के संघर्ष के बाद भारत के ख़िलाफ़ डेटेरेंट शक्ति के रूप में बनाई जा रही है. 13 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ ने इस फ़ोर्स के गठन की घोषणा की.हालाँकि उन्होंने इस नई कमांड फ़ोर्स के संचालन से जुड़ी कोई जानकारी साझा नहीं की. लेकिन कुछ भारतीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि यह रॉकेट फ़ोर्स बाबर क्रूज़ मिसाइल, शाहीन बैलिस्टिक मिसाइल श्रृंखला और फ़तह गाइडेड रॉकेट लांचर्स जैसे हथियारों की देखरेख करेगी, ताकि भारत की वायु और मिसाइल रक्षा क्षमताओं का जवाब दिया जा सके.पाकिस्तानी रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सैयद मुहम्मद अली ने 18 अगस्त को वरिष्ठ पत्रकार कमरान ख़ान को नुक़्ता डिजिटल पोर्टल पर बताया कि “इस फ़ोर्स में दुश्मन के इलाक़े के अंदर गहराई तक और सटीकता से वार करने की क्षमता होगी.”पाकिस्तानी सेना के पक्ष में लिखने वाले अख़बार पाकिस्तान ऑब्ज़र्वर ने 14 अगस्त की रिपोर्ट में लिखा कि बेहतर समन्वय से “भारत के लिए हमलों का अनुमान लगाना और मुश्किल होगा.”पाकिस्तान की घोषणा के दो दिन बाद, भारत ने अपने स्वतंत्रता दिवस पर स्वदेशी रक्षा कवच बनाने की योजना घोषित की. कहा जा रहा है कि यह इसराइल के आयरन डोम और अमेरिका के प्रस्तावित गोल्डन डोम जैसा होगा. भारत ने यह फ़ैसला चीन और पाकिस्तान की ओर से लगातार बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए लिया.यह क्यों बनाया जा रहा है?इमेज स्रोत, AFP via Getty Imagesइमेज कैप्शन, भारत के मिसाइल हमले में बहावलपुर की इमारतों को भी निशाना बनाया गया था. पाकिस्तान ने यह नई फ़ोर्स बनाने का निर्णय मई के संघर्ष और भारत की मिसाइल क्षमता में हुई प्रगति को देखते हुए लिया है.पाकिस्तानी मीडिया और विश्लेषकों के अनुसार, पाकिस्तान 500 किलोमीटर रेंज वाली अर्ध-बैलिस्टिक प्रलय मिसाइल और भारत-रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की जा रही ब्रह्मोस-II हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल को लेकर चिंतित है, जिसकी गति माक 6 से 8 तक पहुँचने का लक्ष्य है.सुरक्षा विशेषज्ञ मुहम्मद फ़ैसल ने पाकिस्तानी अख़बार डॉन में लिखा, “यह मई में हुई जंग का सबक है. पाकिस्तान के पास पर्याप्त लंबी दूरी के पारंपरिक रॉकेट नहीं थे, जिनसे दूर के लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सके.”विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान इस कदम को अपनी दूरदर्शी रक्षा रणनीति का हिस्सा मानता है, ख़ासकर भारत के ख़िलाफ़. इससे भविष्य के संभावित संघर्षों में पाकिस्तान अधिक मज़बूत हो सकता है.इस्लामाबाद की एयर यूनिवर्सिटी में फ़ैकल्टी ऑफ़ एयरोस्पेस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ के डीन डॉ. आदिल सुल्तान ने कहा कि नई फ़ोर्स “हमारे सैन्य सिद्धांत में बदलाव ला सकती है.”मीडिया और विशेषज्ञों का कहना है कि यह घोषणा रणनीतिक रूप से सही है, क्योंकि भारत के साथ हालिया संघर्षों में मिसाइल और ड्रोन ने निवारक की भूमिका निभाई थी.पाकिस्तानी अख़बार ‘द नेशन’ ने 15 अगस्त को लिखा, “रणनीतिक और सामरिक दोनों दृष्टिकोण से यह बेहद अहम क़दम है. यह आने वाले वर्षों में देश की सैन्य ताक़त को आकार देगा.”पाकिस्तान के रिटायर्ड ब्रिगेडियर राजा शोज़ब मजीद ने 17 अगस्त को ‘पाकिस्तान ऑब्ज़र्वर’ में लिखा कि नई फ़ोर्स ने “दक्षिण एशिया के रणनीतिक समीकरण में बुनियादी बदलाव का संकेत दिया है.”भारत की चिंताएँ क्या हैं?इमेज स्रोत, AFP via Getty Imagesइमेज कैप्शन, ब्रह्मोस को भारतीय सेना का एक ताक़तवर हथियार माना जाता है. ये एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या ज़मीन कहीं से भी छोड़ा जा सकता है.इंडिया टुडे वेबसाइट ने 16 अगस्त को लिखा, “भारतीय विश्लेषक एआरएफ़सी को पाकिस्तान और चीन के बीच गहराते सैन्य संबंधों का एक और संकेत मानते हैं.”19 अगस्त को हिंदी दैनिक राजस्थान पत्रिका की टिप्पणी में कहा गया, “इस नई फ़ोर्स के पीछे एक ताक़त है, जिसका साफ़ असर दिख रहा है और वह है चीन.”भारत की चिंताएँ तब और बढ़ गईं जब ख़बर आई कि चीन पाकिस्तान को पाँचवीं पीढ़ी के J-35 स्टेल्थ फ़ाइटर जेट, एचक्यू-19 मिसाइल रक्षा प्रणाली और केजे-500 अर्ली वार्निंग एयरक्राफ़्ट उपलब्ध कराएगा.’ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत ने कहा था कि चीन ने पाकिस्तान को संघर्ष के दौरान ख़ुफ़िया जानकारियाँ दी थीं. भारत ने यह भी बताया कि जंग में पाकिस्तान ने चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया.कुछ भारतीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि प्रस्तावित कमांड चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फ़ोर्स से “प्रेरित” है.बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments