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अमेरिका में विवेक रामास्वामी से रैली में हिन्दू होने पर पूछा गया सवाल, उन्होंने दिया यह जवाब



इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, विवेक रामास्वामी पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने की रेस में शामिल थे9 अक्टूबर 2025विवेक रामास्वामी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के क़रीबी माने जाते रहे हैं. ट्रंप ने राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद डिपार्टमेंट ऑफ़ गवर्नमेंट एफ़िशिएंसी (डीओजीई) के गठन की घोषणा की थी.उस वक़्त उन्होंने विवेक रामास्वामी को “देशभक्त अमेरिकी” कहा था और उन्हें एलन मस्क के साथ इस विभाग में अहम ज़िम्मेदारी दी थी.लेकिन कुछ ही दिनों बाद विवेक रामास्वामी डीओजीई से बाहर हो गए थे. अब वह ओहायो के गवर्नर पद की रेस में हैं. मोंटाना में आयोजित एक रैली में उनसे हिंदू और ईसाई धर्म को लेकर सवाल पूछा गया, जिस पर उन्होंने मंच से जवाब दिया. यह कार्यक्रम टर्निंग पॉइंट यूएसए का था, जिसमें सैकड़ों लोग मौजूद थे.’मैंने ख़ुद को ईसाई कभी नहीं कहा’कार्यक्रम में एक व्यक्ति ने विवेक रामास्वामी से पूछा, ”मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आपने ख़ुद को हिंदू कहा है, लेकिन साथ ही ख़ुद को क्रिश्चन भी कहा है.”इस पर रामास्वामी ने तुरंत जवाब दिया, “मैंने ख़ुद को कभी ईसाई नहीं कहा. मैं हिंदू हूँ.”इसके बाद रामास्वामी ने अपनी आस्था को समझाते हुए कहा, “मैं वास्तव में एकेश्वरवादी हूँ. मैं एक ही सच्चे ईश्वर में विश्वास करता हूँ और यह वेदांत की अद्वैत परंपरा से आता है. ईश्वर एक ही है.”रामास्वामी ने फिर सवाल करने वाले युवक लियाम बर्मिंगम से कहा, “क्या आप ‘होली ट्रिनिटी’ यानी पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में विश्वास करते हैं?”जब लियाम ने कहा, “हाँ,” तो रामास्वामी ने पूछा, “क्या इससे आप बहुदेववादी (कई देवताओं को मानने वाला) हो जाते हैं?”लियाम ने जवाब दिया, “शायद नहीं.”इसके बाद रामास्वामी ने कहा, “यही तो बात है. हिंदू धर्म में भी ईश्वर एक है, जो अलग-अलग रूपों में होता है. ठीक वैसे ही जैसे ईसाई धर्म में एक ईश्वर ट्रिनिटी के रूप में है. दोनों में विचार का आधार एक ही है.”फिर उन्होंने कहा, “मैं पादरी बनने के लिए नहीं, बल्कि ओहायो का गवर्नर बनने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं. मैंने अमेरिका का पादरी बनने के लिए नहीं, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के लिए चुनाव लड़ा था.”इसके बाद उन्होंने लियाम से पूछा, “क्या आपको लगता है कि किसी हिंदू व्यक्ति का अमेरिका का राष्ट्रपति बनना सही नहीं होगा?”लियाम ने जवाब दिया, “ऐसा नहीं है.”रामास्वामी ने मुस्कराते हुए कहा कि यही तो असली आज़ादी है. फिर उन्होंने लियाम को मंच पर बुलाया और अमेरिकी संविधान की अपनी कॉपी भेंट की.इसके बाद उन्होंने लियाम से कहा कि वह आर्टिकल 6 का एक हिस्सा ज़ोर से पढ़ें. उसमें लिखा था, “किसी भी पद के लिए अमेरिका में कभी भी कोई धार्मिक परीक्षा आवश्यक नहीं होगी.”चुनावी अभियान में भी धर्म पर सवाल पूछा गया थायह पहला मौक़ा नहीं है, जब विवेक रामास्वामी से उनके धर्म को लेकर सवाल पूछा गया. एनबीसी न्यूज़ के मुताबिक़, राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान भी उनसे बार-बार धर्म पर सवाल किए गए.आयोवा में एक कार्यक्रम में एक शख़्स ने उनसे पूछा, “यीशु मसीह के बारे में आपकी क्या राय है?”रामास्वामी ने जवाब दिया था, “मेरे हिंदू धर्म में यीशु ईश्वर के पुत्रों में से एक हैं, न कि एकमात्र पुत्र.”उन्होंने कहा था कि वह धार्मिक स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं और यही अमेरिका की असली ताक़त है. रामास्वामी ने कहा था, “मैं हिंदू हूं और मुझे इस पर गर्व है. मुझे लगता है कि मैं धार्मिक स्वतंत्रता का और मज़बूत समर्थक साबित हो सकता हूं.”एनबीसी न्यूज़ के मुताबिक़, यह उस समय की बात है, जब विवेक रामास्वामी आयोवा और न्यू हैम्पशर में लगातार लोगों से मिल रहे थे और लगभग हर जगह उनसे धर्म को लेकर सवाल किए जा रहे थे.एच-1बी वीज़ा पर बयान भी सुर्ख़ियों में थाहाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीज़ा की फ़ीस कई गुना बढ़ाकर एक लाख डॉलर कर दी है. ट्रंप के इस फ़ैसले के बाद एच-1बी वीज़ा को लेकर अमेरिका और भारत दोनों में बहस छिड़ गई है.इससे पहले विवेक रामास्वामी भी इसी मुद्दे पर अपनी राय दे चुके थे. पॉलिटिको की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, डीओजीई से हटने की एक वजह एच-1बी वीज़ा पर उनकी वही टिप्पणी थी जो उन्होंने एक्स पर लिखी थी.उस वक़्त पॉलिटिको ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था, “रामास्वामी ने एच-1बी वीज़ा पर चल रही एक चर्चा के दौरान अमेरिकी कामकाज़ी संस्कृति की आलोचना करते हुए कहा था कि टेक कंपनियां विदेशी कर्मचारियों को इसलिए रखती हैं क्योंकि देश में मेहनत और क़ाबिलियत की जगह औसत दर्जे के काम को महत्व दिया जा रहा है.”रिपोर्ट के मुताबिक़, उनके इस बयान के बाद कई रिपब्लिकन नेता नाराज़ हो गए. पॉलिटिको ने यह भी लिखा, “ट्रंप टीम के कुछ सदस्य पहले ही उन्हें हटाना चाहते थे लेकिन यह ट्वीट सामने आने के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया.”इमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, राष्ट्रपति ट्रंप ने एलन मस्क और विवेक रामास्वामी को डीओजीई की ज़िम्मेदारी दी थीउस वक्त न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था, ”ट्रंप के क़रीबियों का कहना है कि रामास्वामी कंज़र्वेटिव्स से सोशल मीडिया पर एच-1 बी वीज़ा को लेकर उलझ रहे थे और यह ट्रंप को पसंद नहीं आया. रामास्वामी हाई स्किल्ड वर्कर्स को एच-1 बी वीज़ा देने का समर्थन कर रहे थे, लेकिन ट्रंप के कई समर्थक इसका विरोध कर रहे हैं.विवेक रामास्वामी ने दिसंबर में एक्स पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें कहा था कि अमेरिकी संस्कृति प्रतिभाशाली लोगों की तुलना में औसत दर्जे के लोगों को बढ़ावा दे रही है, ऐसे में एच-1 बी वीज़ा ज़रूरी है.रामास्वामी ने लिखा था, ”हम मैथ ओलंपियार्ड चैंप की जगह प्रोम क्वीन को ज़्यादा तवज्जो दे रहे हैं या पढ़ाई-लिखाई से ज़्यादा जोक में लगे हुए हैं. ऐसे में हम बेस्ट इंजीनियर नहीं पैदा कर सकते. हमें साइंस पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है न कि वीकेंड में कार्टून पर. ज़्यादा किताबें और कम टीवी की नीति अपनानी चाहिए. हमें मॉल की संस्कृति से दूर होने की ज़रूरत है.”कौन हैं विवेक रामास्वामीइमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, विवेक रामास्वामी अपनी पत्नी अपूर्वा टी. रामास्वामी के साथ. यह उस समय की तस्वीर है जब रामास्वामी राष्ट्रपति पद की रिपब्लिकन उम्मीदवारी की रेस में थेविवेक रामास्वामी भारतीय मूल के अमेरिकी उद्यमी और नेता हैं. 39 साल के रामास्वामी का जन्म ओहायो में हुआ. उनके माता-पिता भारत के केरल से हैं. उनके पिता इंजीनियर थे और माँ अमेरिका में मनोचिकित्सक के तौर पर काम करती थीं. उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक और येल लॉ स्कूल से कानून की पढ़ाई की.बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करते हुए उन्होंने रोयवेंट साइंसेज़ की नाम की कंपनी बनाई, जो अब अरबों डॉलर की कंपनी है. इसके अलावा वे एक निवेश प्रबंधन फ़र्म के भी सह-संस्थापक हैं.उनकी पत्नी अपूर्वा सर्जन हैं और दोनों अपने दो बेटों के साथ कोलंबस, ओहायो में रहते हैं.रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहते हुए उन्होंने दो टीवी बहसों में हिस्सा लिया और आयोवा कॉकस में चौथे स्थान पर रहे. इसके बाद उन्होंने अपना अभियान रोक दिया था.बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित



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